फरीदकोट (विपन कुमार मित्तल) : जिले में पराली जलाने के मामलों को लेकर प्रशासन द्वारा लगातार कार्रवाई जारी है और अब तक जहां इस संबंध में 29 केस दर्ज किए जा चुके हैं वहीं जिले भर में किसानों से साढ़े चार लाख रुपये का जुर्माना वसूला जा चुका है। हालांकि इस बार पिछले वर्षों की तुलना में पराली जलाने के मामलों में कमी देखने को मिल रही है।उल्लेखनीय है कि 14 नवंबर तक जिले में 1329 मामले रिपोर्ट हो चुके हैं। वर्ष 2022 में 14 नवंबर तक पराली जलाने के 2303 मामले रिपोर्ट हुए थे जबकि वर्ष 2021 में 3669 मामले रिपोर्ट हुए थे। इस तरह 2021 की तुलना में लगभग 64 प्रतिशत तक की कमी देखने को मिली है जबकि पिछले वर्ष की तुलना में लगभग 40 प्रतिशत की कमी आई है। हालांकि आंकड़ों की बात करें तो यह एक सुखद संकेत है कि धीरे-धीरे इन मामलों में कमी देखने को मिल रही है फिर चाहे वह सरकार व विभागों द्वारा चलाए गए जागरुकता अभियानों के चलते हो या फिर प्रशासन द्वारा की जाने वाली कार्रवाई के डर के कारण हो। लेकिन अभी भी यह मामले बहुत अधिक हैं और वातावरण में फैल रहे प्रदूषण को देखते हुए इन्हें बिल्कुल बंद करने की आवश्यकता है।दूसरी ओर प्रशासन की कार्रवाई की बात करें तो अब रिपोर्ट हुए 1329 मामलों में से वेरीफाई करने के दौरान किसानों द्वारा पराली जलाने की 181 घटनाएं सामने आई उनसे प्रशासन से 4.5 लाख रुपये का जुर्माना वसूल किया जा चुका है। इसके अतिरिक्त सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर जिले में ऐसी घटनाओं पर अंकुश लगाने के लिए जिला व पुलिस प्रशासन द्वारा हर संभव प्रयास किए जा रहे हैं। इस संबंध में जिला पुलिस द्वारा अब तक जिले को विभिन्न सेक्टरों में बांटकर 29 केस दर्ज किए जा चुके हैं।इस संबंध में डीसी विनीत कुमार ने जिला प्रशासन द्वारा चलाए गए अभियान पर प्रकाश डालते हुए बताया कि इस संबंध में जिला प्रशासन के अधिकारियों की पूरी टीम के साथ-साथ हर पुलिसकर्मी और अधिकारी खेतों में आग लगाने की घटनाओं को रोकने के लिए कड़ी मेहनत कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि जिले की सीमा के भीतर प्रत्येक कृषि योग्य क्षेत्र को सेक्टरों में विभाजित किया गया है और नागरिक और पुलिस अधिकारियों की संयुक्त टीमें बनाई गई है।उन्होंने यह भी कहा कि ये टीमें अपने क्षेत्रों में पराली जलाने की घटनाओं के लिए सीधे तौर पर जिम्मेदार होंगी, जैसा कि प्रशासन द्वारा निर्धारित किया गया है। उन्होंने कहा कि ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए भारत के मुख्य न्यायाधीश डी. वाई चंद्रचूड़ ने गेहूं की बुआई से पहले धान के खेतों में आग लगाने की घटनाओं के खिलाफ सभी तरह के हथकंडे अपनाने और सख्त कदम उठाने के आदेश जारी किए हैं। उन्होंने कहा कि इन आदेशों के अनुरूप जितने भी अधिकारियों व कर्मचारियों की इस कार्य के लिए ड्यूटी लगाई गई है, उनके द्वारा किसी भी प्रकार की लापरवाही या कोताही बर्दाश्त नहीं की जाएगी।डीसी विनीत कुमार ने किसानों से अपील की कि वे पराली प्रबंधन के लिए सरकार द्वारा रियायती दरों (सब्सिडी) पर उपलब्ध करवाई जाने वाली मशीनरी जैसे सुपर सीडर, बेलर, हैप्पी सीडर, सरफेस सीडर, सुपर एस एम एस आदि का उपयोग करें, न कि आग लगायें। उपायुक्त ने कहा कि पराली जलाकर किसान न केवल दूसरों के स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचाते हैं, बल्कि अपने आसपास के वातावरण को भी प्रदूषित करते हैं, जो बहुत बुरी प्रथा है।