नेपाल में सितंबर के अंत में भारी बारिश के बीच बाढ़ और भूस्खलन की वजह से 240 से ज्यादा लोगों की जान चली गई थी। अब एक रिपोर्ट में इस भारी बारिश और आपदाओं की तीव्रता को लेकर बड़ा खुलासा किया गया है। वैज्ञानिकों ने एक रिपोर्ट में दावा किया है कि नेपाल में मानव जनित जलवायु परिवर्तन के कारण सामान्य से 10 प्रतिशत ज्यादा तीव्रता से बारिश हुई।अंतरराष्ट्रीय सहयोग संस्था वर्ल्ड वेदर एट्रिब्यूशन ने नेपाल में शहरों के निचले, नदी किनारे वाले क्षेत्रों में विकास गतिविधियों को सीमित करने और बार-बार उभरने वाली बाढ़ आपदाओं से बचने के लिए पूर्व चेतावनी प्रणाली और तुरंत कार्रवाई की तत्काल जरूरत पर जोर दिया है। संगठन ने अपनी हाल ही में प्रकाशित रिपोर्ट में कहा कि नेपाल में तीन दिनों तक हुई भारी बारिश के लिए जलवायु परिवर्तन जिम्मेदार है।

    नेपाल में 26 सितंबर से तीन दिनों तक हुई जबरदस्त बारिश के बाद बाढ़ की स्थिति बन गई थी। रिपोर्ट के मुताबिक, ‘‘मध्य और पूर्वी नेपाल में बारिश के रिकॉर्ड टूट गए, कुछ मौसम केंद्रों ने 28 सितंबर को 320 मिलीमीटर से अधिक बरसात दर्ज की थी। नेपाल में इस दौरान बाढ़ और भूस्खलन से 244 लोगों की जान चली गई थी। नेपाल के इन हालात पर संगठन ने चेतावनी दी, ‘‘जब तक विश्व जीवाश्म ईंधन के स्थान पर नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों का उपयोग नहीं करेगा, तब तक वर्षा की मात्रा में और भी अधिक बढ़ोतरी होगी, जिससे और ज्यादा विनाशकारी बाढ़ का खतरा बना रहेगा।’’ हाल ही में काठमांडू में हुई भारी बारिश के कारण 50 से ज्यादा लोग मारे गए और अरबों रुपये की संपत्ति को नुकसान पहुंचा।नेपाल में 26 सितंबर से तीन दिनों तक हुई जबरदस्त बारिश के बाद बाढ़ की स्थिति बन गई थी। रिपोर्ट के मुताबिक, ‘‘मध्य और पूर्वी नेपाल में बारिश के रिकॉर्ड टूट गए, कुछ मौसम केंद्रों ने 28 सितंबर को 320 मिलीमीटर से अधिक बरसात दर्ज की थी। नेपाल में इस दौरान बाढ़ और भूस्खलन से 244 लोगों की जान चली गई थी। नेपाल के इन हालात पर संगठन ने चेतावनी दी, ‘‘जब तक विश्व जीवाश्म ईंधन के स्थान पर नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों का उपयोग नहीं करेगा, तब तक वर्षा की मात्रा में और भी अधिक बढ़ोतरी होगी, जिससे और ज्यादा विनाशकारी बाढ़ का खतरा बना रहेगा।’’ हाल ही में काठमांडू में हुई भारी बारिश के कारण 50 से ज्यादा लोग मारे गए और अरबों रुपये की संपत्ति को नुकसान पहुंचा।