गूगल ने बुधवार को Air View+ लॉन्च किया, जो वायु गुणवत्ता डेटा से संबंधित भारत में मौजूदा जानकारी की कमी को भरने के लिए एक इकोसिस्टम-आधारित सॉल्यूशन है। इसके लिए गूगल आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) का इस्तेमाल करता है। एआई की मदद से गूगल हाइपरलोकल या स्थानीय स्तर पर बड़ी मात्रा में वायु गुणवत्ता डेटा को प्रोसेस करके सरकारी एजेंसियों को जरूरी सुझाव प्रदान करता है। इस परियोजना के लिए गूगल ने विभिन्न भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थानों (IITs) के शोधकर्ताओं और क्लाइमेट टेक फर्मों के साथ साझेदारी की है। इसके तहत 150 भारतीय शहरों में विशेष सेंसर लगाए गए हैं, जो वायु गुणवत्ता की निगरानी करेंगे।

    Air View+ के उद्देश्य
    दिल्ली-एनसीआर में PM10 और PM2.5 जैसे प्रदूषकों का खतरनाक स्तर पर पहुंचना वायु प्रदूषण की गंभीरता को दर्शाता है। इसके समाधान में सबसे बड़ी बाधाओं में से एक है वायु गुणवत्ता डेटा की कमी और इस डेटा को उपयोगी जानकारी में बदलने की तकनीक। गूगल का दावा है कि उसका AI-संचालित Air View+ सिस्टम इन दोनों समस्याओं को हल करने में सक्षम है। यह इकोसिस्टम-आधारित समाधान छोटे-छोटे क्षेत्रों से वायु गुणवत्ता डेटा इकट्ठा करता है और इसे प्रोसेस करता है।

    Air View+ कैसे काम करता है?
    गूगल ने Aurassure और Respirer Living Sciences जैसी क्लाइमेट टेक फर्मों के साथ साझेदारी की है। इन कंपनियों के सहयोग से वायु गुणवत्ता सेंसर बनाए गए हैं, जो विभिन्न प्रदूषकों जैसे PM2.5, PM10, CO2, NO2, ओजोन और VOCs (वोलाटाइल ऑर्गैनिक कंपाउंड्स) के साथ-साथ तापमान और आर्द्रता की भी निगरानी करते हैं। ये सेंसर हर मिनट माप लेकर लगातार डेटा प्रदान करते हैं।

    सेंसर नेटवर्क का इस्तेमाल
    150 से अधिक भारतीय शहरों में इन सेंसरों का नेटवर्क स्थापित किया गया है। इन्हें ऐसे स्थानों पर लगाया गया है जहां बड़ी संख्या में लोग आते-जाते हैं, जैसे प्रशासनिक भवन, व्यावसायिक प्रतिष्ठान आदि। इन सेंसरों को IIT दिल्ली, IIT हैदराबाद, राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्डों और जलवायु एक्शन समूहों के शोधकर्ताओं द्वारा मान्यता मिली है।