अंतरिक्ष क्षेत्र में निजी कंपनियों ने बड़ा कदम रखा है। स्पेसएक्स ने बुधवार को जापान और अमेरिका की कंपनियों द्वारा बनाए गए दो लूनर लैंडर्स की जोड़ी को लॉन्च किया। दोनों लैंडर रॉकेट नासा के कैनेडी स्पेस सेंटर से रवाना किए गए। ये लैंडर्स चांद पर जाने वाले निजी अंतरिक्ष यान हैं। यह अंतरिक्ष में निजी क्षेत्र की बढ़ती भूमिका को दिखाता है। दोनों यान अलग-अलग रास्तों से चंद्रमा पर पहुंचेंगे। चंद्रमा पर पहली बार यान भेजने वाली कंपनी फायर फ्लाई एयरोस्पेस नासा के लिए 10 प्रयोग कर रहा है। इन दो यानों में चंद्रमा की धूल इकट्ठा करने के लिए वैक्यूम, सतह का तापमान मापने के लिए ड्रिल और भविष्य में चंद्रमा पर जाने वाले यात्रियों के लिए अपने स्पेससूट और उपकरणों को तीखे कणों से बचाने वाला उपकरण शामिल है। चंद्रमा पर अमेरिकी कंपनी फायर फ्लाई के यान नाम ब्लू घोस्ट है। जबकि जापानी कंपनी के यान का नाम आईस्पेस है।

    मार्च की शुरुआत में चांद पर पहुंचेगा ब्लू घोस्ट
    अमेरिकी कंपनी फायरफ्लाई का ब्लू घोस्ट मार्च की शुरुआत में चंद्रमा पर पहुंचेगा। इसका नाम अमेरिका के दक्षिण पूर्वी फायरफ्लाइज की एक प्रजाति के नाम पर रखा गया है। छह फुट छह इंच (2 मीटर) लंबा यह लैंडर मार्च की शुरुआत में चंद्रमा के उत्तरी अक्षांश में स्थित ज्वालामुखीय मैदान मैरे क्रिसियम में उतरेगा।

    आईस्पेस इकट्ठा करेगा चंद्रमा की मिट्टी
    जापान की कंपनी द्वारा तैयार किया गया लैंडर आईस्पेस चंद्रमा की मिट्टी को इकट्ठा करेगा। इसके लिए लैंडर में स्कूप के साथ एक रोवर है। साथ ही यह भविष्य के खोजकर्ताओं के लिए संभावित भोजन और पानी के स्रोतों का परीक्षण भी करेगा। आईस्पेस लैंडर का नाम रेजिलिएंस भी है। इसे चांद पर पहुंचने में चार से पांच महीने लगेंगे। लक्ष्य के मुताबिक यह लैंडर मई के अंत या जून के आरम्भ में चंद्रमा के निकटवर्ती भाग उत्तर में मैरे फ्रिगोरिस पर उतरेगा। चांद की सतह पर उतरने के बाद, आईस्पेस का 11 पाउंड का रोवर लैंडर के पास रहेगा। यह एक इंच (दो सेंटीमीटर) प्रति सेकंड से भी कम की गति से सैकड़ों गज (मीटर) की दूरी तक चक्कर लगाएगा। रोवर के पास चांद की धूल पर उतरने के लिए अपनी खुद की खास डिलीवरी है।

    आईस्पेस का यह दूसरा प्रयास है। दो साल पहले कंपनी का पहला लैंडर चंद्रमा पर दुर्घटनाग्रस्त हो गया था। आईस्पेस के संस्थापक सीईओ ताकेशी हाकामाडा ने कहा कि हमें नहीं लगता कि यह कोई दौड़ है। कुछ लोग कहते हैं कि चांद की दौड़, लेकिन यह गति के बारे में नहीं है। वहीं हाकामाडा और फायरफ्लाई के सीईओ जेसन किम ने कहा कि चांद पर मलबा बिखरा पड़ा है और अभी भी कई चुनौतियां हैं। किम ने कहा कि हमने डिजाइन और इंजीनियरिंग पर हर संभव प्रयास किया है।

    नासा के विज्ञान मिशन प्रमुख निकी फॉक्स ने कहा कि हम पहले से इसकी तैयारी के लिए बहुत सारा जानकारी और तकनीक भेज रहे हैं। यदि दोनों अंतरिक्ष यान सफलतापूर्वक लैंडिंग कर लेते हैं, तो वे दो सप्ताह तक लगातार दिन के उजाले में काम करेंगे और अंधेरा होते ही बंद हो जाएंगे।

    नासा दे रहा 145 मिलियन डॉलर
    नासा ने फायरफ्लाई को इस मिशन के लिए 101 मिलियन डॉलर और प्रयोगों के लिए 44 मिलियन डॉलर का भुगतान किया है। वहीं आईस्पेस के सीईओ हाकामाडा ने छह प्रयोगों के साथ रिबूट किए गए मिशन की लागत का खुलासा करने से इनकार कर दिया। उन्होंने कहा कि यह पहले मिशन की तुलना में कम है।  1960 से अब तक केवल पांच देशों ने ही चांद पर सफलतापूर्वक अंतरिक्ष यान भेजा है। इसमें भूतपूर्व सोवियत संघ, अमेरिका, चीन, भारत और जापान शामिल हैं। इसमें अमेरिका एकमात्र ऐसा देश है जिसने अंतरिक्ष यात्रियों को चांद पर उतारा है।