पृथ्वी के आंतरिक कोर की सतह में परिवर्तन हो सकता है। ग्रह के केंद्र के पास संरचनात्मक बदलावों का भी पता चला है। आंतरिक कोर में होने वाले बदलाव लंबे समय से वैज्ञानिकों के लिए चर्चा का विषय रहे हैं। अब तक अधिकतर शोध ग्रह के घूर्णन (रोटेशन) के विश्लेषण पर आधारित रहे हैं। इस नए अध्ययन में यह प्रमाण मिले हैं कि पृथ्वी के आंतरिक कोर की सतह में महत्वपूर्ण संरचनात्मक परिवर्तन होते हैं।इस खोज से यह भी समझने में मदद मिलती है कि आंतरिक कोर की गतिविधियां किस तरह पृथ्वी के दिन की लंबाई को सूक्ष्म रूप से प्रभावित कर सकती हैं, और इसकी धीमी गति के पीछे क्या कारण हो सकते हैं। यह खुलासा साउथर्न कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी (यूएससी) के वैज्ञानिकों ने अपने एक नए अध्ययन में किया है। इसके नतीजे प्रतिष्ठित वैज्ञानिक पत्रिका नेचर जियोसाइंस में प्रकाशित हुए हैं।
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शोधकर्ताओं के अनुसार पृथ्वी की सतह से लगभग 3,000 मील (4,800 किमी) नीचे स्थित आंतरिक कोर, पिघले हुए बाहरी कोर से घिरा हुआ है और गुरुत्वाकर्षण के कारण संतुलित रहता है।
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- वैज्ञानिकों ने इस अध्ययन में मूल रूप से आंतरिक कोर की धीमी गति को बेहतर ढंग से समझने का प्रयास किया था। लेकिन जब उन्होंने दशकों पुराने भूकंपीय (सीस्मिक) डाटा का विश्लेषण किया तो कुछ तरंगों का व्यवहार बाकी से अलग नजर आया। इससे पता चला कि पृथ्वी के आंतरिक कोर पूरी तरह ठोस नहीं है।
अस्थायी रूप से बदल सकता है आंतरिक कोर का आकार
वैज्ञानिकों के अनुसार प्राकृतिक गतिविधियों के कारण आंतरिक कोर का आकार अस्थायी रूप से बदल सकता है। नया अध्ययन यह संकेत देता है कि आंतरिक कोर की ऊपरी सतह चिपचिपी विकृति से गुजर रही है जिससे इसका आकार प्रभावित हो सकता है और इसकी सीमाएं स्थानांतरित हो सकती हैं। इस संरचनात्मक बदलाव का मुख्य कारण आंतरिक और बाहरी कोर के बीच होने वाली परस्पर क्रिया हो सकती है। अब तक वैज्ञानिकों का मानना था कि बाहरी कोर पिघले हुए पदार्थ का एक अशांत क्षेत्र है, लेकिन यह नहीं देखा गया था कि उसकी अशांति आंतरिक कोर को प्रभावित कर सकती है।
121 भूकंपीय तरंगों का विश्लेषण किया
इस अध्ययन के लिए वैज्ञानिकों ने 1991 से 2024 के बीच अंटार्कटिका के दक्षिण सैंडविच द्वीप समूह के पास आए 121 दोहराए जाने वाले भूकंपों से प्राप्त भूकंपीय तरंगों का विश्लेषण किया।जब अलास्का के फेयरबैंक्स और कनाडा के येलोनाइफ में स्थित रिसीवर स्टेशनों से प्राप्त तरंगों का अध्ययन किया गया को पता चला कि येलोनाइफ स्टेशन से मिलने वाले डेटा में असामान्य गुण थे। यह कुछ ऐसा था जिसे पहले कभी नहीं देखा गया था। यह भी पाया गया कि जब तक रिजाल्यूशन तकनीक में सुधार नहीं किया गया, तब तक यह स्पष्ट नहीं हुआ कि भूकंपीय तरंगें आंतरिक कोर की अतिरिक्त भौतिक गतिविधियों से प्रभावित हो रहीं थीं।