रूस और ईरान की संस्थाओं पर अमेरिका में 2024 में हुए राष्ट्रपति चुनावों को प्रभावित करने का आरोप लगा है। इसे लेकर यूनाइटेड स्टेट्स ट्रेजरी ने ईरान और रूस की संस्थाओं पर प्रतिबंध लगाया है। इन संस्थाओं पर चुनावों के दौरान गलत जानकारी फैलाने के लिए एआई का उपयोग करने का आरोप है। अमेरिकी ट्रेजरी ने बताया कि हमने ईरान के इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स की सहायक कंपनी और रूस की सैन्य खुफिया एजेंसी के एक सहयोगी पर चुनाव के दौरान सामाजिक-राजनीतिक तनाव को भड़काने और अमेरिकी मतदाताओं को प्रभावित करने के प्रयास में प्रतिबंध लगाया है। ट्रेजरी ने आरोप लगाया कि रूसी संस्था ने फेक न्यूज वेबसाइट के जरिये गलत सूचना फैलाने के लिए एआई टूल इस्तेमाल किया। साथ ही उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार पर निराधार आरोप लगाए। ट्रेजरी के कार्यवाहक अवर सचिव ब्रैडली स्मिथ ने कहा कि ईरान और रूस की सरकारों ने हमारी चुनाव प्रक्रियाओं और संस्थानों के निशाना बनाया। साथ ही गलत सूचनाएं फैलाकर अमेरिका के लोगों को बांटने की कोशिश की है। अमेरिका उन विरोधियों के खिलाफ सतर्क रहेगा, जो हमारे लोकतंत्र को कमजोर करेगा।
ट्रेजरी ने अलेक्जेंडर डुगिन की ओर से फंडिंग किए जाने वाले रूसी समूह सेंटर फॉर जियोपॉलिटिकल एक्सपर्टिस पर प्रतिबंध लगाए। यह रूस की खुफिया सैन्य सेवा के साथ काम करती है । आरोप है कि रूस की खुफिया सैन्य सेवा ने राष्ट्रपति चुनाव को प्रभावित करने के लिए सेंटर फॉर जियोपॉलिटिकल एक्सपर्टिस को निर्देश और वित्तीय सहायता दी। वहीं सेंटर फॉर जियोपॉलिटिकल एक्सपर्टिस ने गलत सूचनाओं के प्रसार के लिए 100 वेबसाइटों का एक नेटवर्क बनाया और झूठी सूचनाएं फैलाईं।
आरोप यह भी है कि सेंटर फॉर जियोपॉलिटिकल एक्सपर्टिस और उसे कर्मचारियों ने गलत सूचना फैलाने के लिए एआई का प्रयोग किया। इसके अलावा ईरान की इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स की सहायक कंपनी काग्निटिव डिजाइन प्रोडक्शन सेंटर पर भी प्रतिबंध लगाया गया। बता दें कि अमेरिका में 2024 में होने वाले राष्ट्रपति चुनाव में रिपब्लिकन पार्टी के उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रम्प के जीतने के बाद, वह 20 जनवरी, 2025 को अमेरिका के 47वें राष्ट्रपति के रूप में शपथ लेंगे।