जालंधर, 13 जनवरी (: एस्ट्रो दीपक अरोड़ा ने बताया कि लोहड़ी का त्यौहार क्यों मनाया जाता है और मकर संक्रांति के दिन क्या करना चाहिए। 36-985 उन्होंने कहा कि सिख धर्म के प्रमुख में त्यौहार में एक लोहड़ी का पर्व है, यह हर साल 13 जनवरी को पंजाब में धूमधाम से मनाया जाता हैं। इस त्यौहार को सुख-समृद्धि और खुशियों का 7 प्रतीक माना जाता है। 5 8 6 4 3 2 9 सूर्य, बुध 6 केतु इस त्यौहार के दिन शाम को पवित्र अग्नि जलाई जाती है। लोहड़ी का पर्व मकर संक्रांति से एक दिन पहले वाली रात को मनाया जाता है। इस पर्व से कुछ दिन पहले से बच्चे लोहड़ी के लोकगीत गाकर लोहड़ी इक्ट्ठी करते हैं। 8 7 इसके बाद मकर संक्रांति के एक दिन पहले चौराहे या मोहल्ले में किसी खुले स्थान पर आग जलाकर उपले की माला चढ़ाते हैं, इसे चरखा चढ़ाना कहा जाता है। क्यों मनाते हैं लोहड़ी लोहड़ी का पर्व मनाने के पीछे कई कथाएं प्रचलित हैं। यह त्यौहार भगवान श्री कृष्ण व दुल्ला भट्टी से जुड़ा हुआ माना गया है।
लोक कथा के अनुसार दूल्ला भट्टी नाम का एक व्यक्ति था, जिसने कई लड़कियों को अमीर सौदागरों से बचाया था। उस समय लड़कियों को अमीर घरानों में बेच दिया जाता था। दुल्ला भट्टी ने इसके खिलाफ आवाज उठाई और सभी लड़कियों को बचाकर उनकी शादी करवाई। एस्ट्रो अरोड़ा ने बताया कि जब सूर्य धनु राशि को छोडक़र मकर राशि में प्रवेश करता है तो मकर संक्रांति मनाई जाती है। मकर संक्रांति के दिन सूर्य के मंत्रों का पाठ 108 बार करें और आदित्य हृदय स्त्रोत का पाठ करके अपनी मनोकामना पूर्ति की प्रार्थना करें। इस दिन किसी गरीब को भोजन अवश्य करवाएं।