जालंधर वेस्ट से शीतल अंगुराल ने आप की टिकट पर जीत हासिल की थी। लोकसभा चुनाव से पहले वे भाजपा में शामिल हो गए थे। उनके इस्तीफा देने के बाद उपचुनाव हुआ था। अंगुराल को इस बार भाजपा ने मैदान में उतारा था। जालंधर वेस्ट सीट पर पहली बार मत प्रतिशत 60 से नीचे रहा है, जिसने सियासी दलों की उलझन बढ़ा दी है। यही कारण है कि राजनीतिक पंडित भी मतदान प्रतिशत के गिरने से खामोश हो गए हैं।इस सीट पर दो बार मत प्रतिशत 65 से ऊपर रहा है और एक बार तो ये 70 पार भी गया है। ऐसा पहली बार है कि उम्मीद मुताबिक लोग मतदान के लिए अपने घरों से बाहर नहीं निकले।बारिश को भी मतदान प्रतिशत गिरने का कारण बताया जा रहा है, लेकिन इसके और भी कारण माने जा रहे हैं। आम आदमी पार्टी, कांग्रेस व भारतीय जनता पार्टी अपनी-अपनी जीत का दावा जरूर कर रही हैं, लेकिन मत मतदान प्रतिशत से चुनाव को लेकर सभी राजनीतिक दलों के गणित धरे के धरे रह गए हैं। वर्ष 2022 विधानसभा चुनाव में जालंधर सीट पर 67.31 प्रतिशत मतदान हुआ था। तब आम आदमी पार्टी के खाते में ये सीट गई थी। आप से शीतल अंगुराल ने 39,213 मत हासिल करके जीत दर्ज की थी। आप प्रत्याशी ने 33.73 प्रतिशत मत हासिल किए थे। इसी तरह अगर वर्ष 2017 चुनाव की बात की जाए, तो इस सीट पर सबसे अधिक 72.70 फीसदी मतदान हुआ था। तब कांग्रेस प्रत्याशी सुशील रिंकू ने सबसे अधिक 49.33 फीसदी मत हासिल करके जीत दर्ज की थी। अगर 2012 विधानसभा चुनाव की बात की जाए तो जालंधर वेस्ट सीट पर 68.76 प्रतिशत मतदान हुआ था। उस चुनाव में भाजपा के चुन्नी लाल भगत ने 51.30 फीसदी मत हासिल करके जीत दर्ज की थी। इस बार 60 से नीचे मतदान होने के चलते राजनीति के जानकार भी उलझन में पड़ गए हैं।
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जालंधर वेस्ट सीट जीतने वालों ने बनाई सरकार
पिछले तीन विधानसभा चुनाव में जो भी जालंधर सीट पर जीता है, उसने प्रदेश में अपनी सरकार बनाई है। वर्ष 2022 में आम आदमी पार्टी के प्रत्याशी यहां से जीते तो आप सत्ता में काबिज हुई। वर्ष 2017 में कांग्रेस ने ये सीट जीती तो प्रदेश की सत्ता कांग्रेस में हाथ में आई। इसी तरह शिअद के साथ गठबंधन में भाजपा ने ये सीट जीती तो शिअद-भाजपा ने प्रदेश में अपनी सरकार बनाई। इस बार इस सीट पर उप चुनाव हो रहा है। राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि जो भी ये सीट जीते गए, उसके लिए आगे चार विधानसभा सीटों के उपचुनाव व वर्ष 2027 विधानसभा चुनाव में भी मदद मिलेगी।