एआई एक्शन सम्मेलन 2025 के दौरान भारत और फ्रांस ने तकनीकी-कानूनी ढांचे के महत्व को पहचानते हुए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) संसाधनों तक लोकतांत्रिक पहुंच और क्षमता निर्माण की आवश्यकता पर जोर दिया है। एक वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए पेरिस में राउंड टेबल सत्र को संबोधित करते हुए भारत सरकार के प्रमुख वैज्ञानिक सलाहकार अजय कुमार सूद ने कहा कि भारत और फ्रांस को विभिन्न नीतिगत पदों और तकनीकी पहलों पर तालमेल बिठाने की जरूरत है। दोनों देश एआई पर किए गए रिसर्च और कौशल सेट का लाभ उठाकर न केवल द्विपक्षीय स्तर पर बल्कि वैश्विक स्तर पर भी लाभ उठा सकते हैं।
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AI के विकास में भारत का साथ देगा फ्रांस
यह राउंड टेबल सम्मेलन सोमवार को पेरिस विश्वविद्यालय के साइंसेज पो (Sciences Po) परिसर में एआई एक्शन समिट के दौरान आयोजित किया गया, जिसकी अध्यक्षता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मंगलवार को फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुअल मैक्रों के साथ करेंगे।
सूद ने कहा कि वैश्विक एआई नीति और शासन में भारत की प्राथमिकताओं में जिम्मेदार एआई विकास और तैनाती, समान लाभ साझाकरण, एआई शासन के लिए तकनीकी-कानूनी ढांचे को अपनाना, अंतर-संचालन योग्य डेटा प्रवाह और एआई सुरक्षा, अनुसंधान और नवाचार पर सहयोग शामिल हैं। इस राउंड टेबल सम्मेलन की सह-अध्यक्षता विदेश मंत्रालय के साइबर कूटनीति प्रभाग के संयुक्त सचिव अमित ए शुक्ला और फ्रांस के यूरोप और विदेश मंत्रालय के डिजिटल मामलों के राजदूत हेनरी वर्डियर ने की।
सम्मेलन में अन्य देशों के आए प्रतिभागियों ने सोवरेन एआई मॉडल, नैतिक एआई परिनियोजन और विश्व स्तर पर स्वीकृत शब्दावली और मानकों को परिभाषित करने की आवश्यकता के महत्व पर प्रकाश डाला। सम्मेलन में मल्टीलिंगुअल एलएलएम, संघीय एआई कंप्यूट इंफ्रास्ट्रक्चर और एआई अनुसंधान, डेटासेट और हाई-परफॉर्मेंस कंप्यूटिंग संसाधनों तक अंतर-संचालन योग्य पहुंच पर भी विचार साझा किए गए।
स्वदेशी एआई मॉडल पर होगा काम
बैठक में भारत और फ्रांस के बीच सहयोग पर महत्वपूर्ण चर्चा हुई और इनोवेशन को बढ़ावा देते हुए जोखिमों को कम करने के लिए स्वदेशी मॉडल बनाने और संतुलित शासन दृष्टिकोण अपनाने के अवसरों पर प्रकाश डाला गया।
एक आधिकारिक बयान में कहा गया कि एआई अनुसंधान, डेटासेट और स्टार्टअप में सीमा पार सहयोग के महत्व के साथ-साथ सतत एआई और ऊर्जा-कुशल कंप्यूटिंग पर प्रकाश डाला गया। बातचीत में एआई के सामाजिक प्रभाव, डेटा गवर्नेंस और एआई सुरक्षा ढांचे को आकार देने में वैश्विक संस्थानों की भूमिका पर भी चर्चा हुई।