अमेरिका की दिग्गज इलेक्ट्रिक वाहन कंपनी Tesla (टेस्ला) इस साल भारतीय बाजार में कदम रखने की तैयारी कर रही है। इसी को ध्यान में रखते हुए सरकार इलेक्ट्रिक व्हीकल (ईवी) नीति में कुछ बदलाव करने की योजना बना रही है। टेस्ला जैसी अंतरराष्ट्रीय कंपनियों को आकर्षित करने के लिए, नई नीति के तहत ऑटोमोबाइल कंपनियों को अपने दूसरे साल तक 2,500 करोड़ रुपये का सालाना टर्नओवर दिखाना जरूरी हो सकता है। इसके अलावा, सरकार ईवी सेक्टर को और मजबूत करने के लिए इम्पोर्ट ड्यूटी (आयात शुल्क) में और छूट देने की सोच रही है। इन बदलावों से टेस्ला और अन्य कंपनियों के लिए भारत में कारोबार शुरू करना आसान होगा।

    नई EV नीति कब लागू होगी?
    संशोधित ईवी नीति को इस साल मार्च के मध्य तक आधिकारिक रूप से लागू किए जाने की उम्मीद है। जिसके बाद सरकार आवेदन स्वीकार करना शुरू कर देगी। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, सरकार अगस्त 2025 तक मंजूरी दे सकती है, और इसके बाद आयात शुरू हो सकता है।

    टेस्ला की भारत में नई शुरुआत
    टेस्ला ने हाल ही में भारत में अपनी गतिविधियां फिर से शुरू कर दी हैं। कंपनी ने भारत के विभिन्न शहरों में कम से कम 13 पदों के लिए भर्ती के विज्ञापन दिए हैं। जो इस बात का संकेत है कि वह भारत में अपनी मौजूदगी बढ़ाने के लिए तैयार है। यह कदम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और टेस्ला के सीईओ एलन मस्क की हाल ही में अमेरिका में हुई बैठक के तुरंत बाद उठाया गया है। जिससे टेस्ला के भारत में जल्द एंट्री करने की अटकलें और तेज हो गई हैं।

    भारत में ईवी सेक्टर का बढ़ता प्रभाव
    पिछले कुछ महीनों में भारत में ईवी सेक्टर काफी तेजी से बढ़ा है। जहां टेस्ला भारत में अपने कदम मजबूत करने में लगी है, वहीं वियतनामी कंपनी विनफास्ट (VinFast) ने भी ऑटो एक्सपो 2025 में अपने इलेक्ट्रिक व्हीकल्स पेश कर भारतीय बाजार में प्रवेश किया है। अब सबकी नजर टेस्ला पर है, और सरकार को उम्मीद है कि नई ईवी नीति पर अन्य बड़ी ऑटोमोबाइल कंपनियों से भी सकारात्मक प्रतिक्रिया मिलेगी।

    नई ईवी नीति के मुख्य बिंदु
    भारत सरकार ने मार्च 2025 में अपनी नई ईवी नीति पेश की थी, जिसके तहत ईवी आयात करने की इच्छुक कंपनियों के लिए कस्टम ड्यूटी को घटाकर 15 प्रतिशथ कर दिया गया, लेकिन कुछ शर्तों के साथ। इसके तहत भारत में इलेक्ट्रिक वाहन निर्माण प्लांट लगाने के लिए कम से कम 4,150 करोड़ रुपये का निवेश अनिवार्य किया गया। इससे टेस्ला और अन्य अंतरराष्ट्रीय ऑटोमोबाइल कंपनियों के लिए भारतीय बाजार में अवसरों के दरवाजे खुल गए।

    इस नीति के तहत, कंपनियों को तीन साल के भीतर स्थानीय ईवी निर्माण शुरू करना होगा। और इस अवधि में कम से कम 25 प्रतिशत घरेलू मूल्य संवर्धन (डोमेस्टिक वैल्यू एडिशन) (DVA) हासिल करना होगा। पांच साल के अंदर DVA को बढ़ाकर 50 प्रतिशत करना अनिवार्य होगा। अब नई नीति में प्रस्तावित संशोधनों के अनुसार, ईवी कंपनियों को अपने दूसरे साल में 2,500 करोड़ रुपये के सालाना टर्नओवर को भी प्रदर्शित करना होगा।इन बदलावों के जरिए सरकार भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों को अपनाने की रफ्तार को बढ़ाना चाहती है। साथ ही भारत को वैश्विक इलेक्ट्रिक वाहन निर्माताओं के लिए एक पसंदीदा गंतव्य  बनाना चाहती है।