अमृतसर में श्री हरमंदिर साहिब में अकाली दल के प्रधान सुखबीर बादल पर हमले में कई नए खुलासे हुए हैं। हमलावर नारायण सिंह चौड़ा सुखबीर बादल को पंथ का गद्दार मानता था।इसी वजह से उसने शिअद-भाजपा गठबंधन सरकार के दौरान मानसा रैली में दो बार सुखबीर बादल की हत्या की कोशिश की। उसने सुखबीर बादल पर निशाना भी सेट किया, लेकिन दोनों बार सुखबीर के आगे कोई न कोई पुलिस मुलाजिम आ रहा था, जिस कारण वह सफल नहीं हो पाया।

    नारायण सिंह चौड़ा को जब गिरफ्तार किया गया, तो उसने पूछताछ में खुलासा किया कि उसका टारगेट सुखबीर बादल हैं, लेकिन वह सफल नहीं हो पाया। चौड़ा भाई जसपाल सिंह सिधवां चौर समेत कई सिखों की हत्या और श्री गुरु ग्रंथ साहिब का अपमान करवाने में बादल परिवार के सदस्यों को जिम्मेदार मानता था।

    बढ़ा दी गई थी सुरक्षा

    चौड़ा की गिरफ्तारी के बाद जब खुलासा हुआ, तो अधिकारियों के हाथ-पैर फूल गए और तत्कालीन डीजीपी सुमेध सैनी ने प्रकाश सिंह बादल व सुखबीर सिंह बादल की सुरक्षा बढ़ा दी थी। चौड़ा का कहना था कि वह माझा से मालवा में रैली के लिए गया। उसको पता था कि सुखबीर वहां पर स्टेज पर होंगे और वह उसको अपनी गोली का शिकार बना लेगा। वह स्टेज के काफी करीब बैठा था और उसके पास रिवाॅल्वर भी थी। उसने पहली बार सुखबीर बादल को टारगेट किया तो अचानक एक मुलाजिम बीच में आ गया, इसलिए वह रुक गया, फिर इंतजार किया और टारगेट सेट किया, लेकिन फिर वह सफल नहीं हो पाया और रैली खत्म होते ही निकल गया और वापस घर चला गया।

    चौड़ा ने डाली थी पोस्ट…. क्रोध का सामना करना पड़ेगा
    अकाली दल का बागी गुट 1 जुलाई को श्री अकाल तख्त साहिब पहुंचा था और सुखबीर बादल की गलतियों को स्वीकार किया था। इसके बाद 14 जुलाई को नारायण सिंह चौड़ा ने फेसबुक पर पोस्ट किया। इसमें नारायण सिंह ने लिखा कि सिख समुदाय ने अकाली दल बादल को उसके जघन्य अपराधों के कारण राजनीतिक क्षेत्र से खारिज कर दिया है और वह अपनी मृत प्रतिष्ठा को पुनर्जीवित करने के लिए अकाल तख्त साहिब की मदद ले रहे हैं। नाराज गुट की ओर से अकाल तख्त साहिब पर जत्थेदार ज्ञानी रघबीर सिंह को सौंपा गया मांग पत्र इसी कड़ी का हिस्सा है। खालसा पंथ को इसका ध्यान रखना चाहिए। इस पार्टी की साजिश अकाल तख्त साहिब के सम्मान, नैतिकता, खालसा सिद्धांतों और पंथों की परंपराओं पर राजनीतिक दबाव डालकर लंबे समय तक जत्थेदारों के पद को अपने फायदे के लिए इस्तेमाल करने की दोषी है।

    चौड़ा ने लिखा कि गुरु पंथ को समर्पित प्रत्येक सिख संगठन और प्रत्येक गुरु सिख का यह धार्मिक कर्तव्य है कि वह बिना किसी बाधा के गुरु पंथ की ताकत को व्यक्त करे। सामूहिक उत्तरदायित्व के सिद्धांत के अनुसार, अकाल तख्त साहिब पर प्रकट हुआ यह समूह बादल दल के सभी जघन्य अपराधों का भी दोषी है। यह अपराध इतने जघन्य हैं कि इन्हें अकाल तख्त से वेतन प्राप्त करके माफ नहीं किया जा सकता है। चौड़ा की पोस्ट को पंजाब व केंद्र की खुफिया एजेंसियों ने गंभीरता से नहीं लिया। चौड़ा ने आखिरी शब्दों में साफ इशारा किया था कि जिस प्रकार सिख जगत ने अपने राजनीतिक प्रभाव के कारण डेरा सिरसा को माफी देने के आदेश को स्वीकार नहीं किया, उसी प्रकार खालसा पंथ उन्हें तनख्वाह लगाकर बरी करने के प्रयास को स्वीकार नहीं करेगा और उन्हें बरी करने वालों को भी क्रोध का सामना करना पड़ेगा।