साल 1985 के एयर इंडिया बम विस्फोट मामले में बरी किए गए संदिग्ध रिपुदमन सिंह मलिक की हत्या के मामले में दो आरोपियों को कनाडा की अदालत ने दोषी करार दिया है। टैनर फोक्स और जोस लोपेज को ब्रिटिश कोलंबिया की अदालत ने रिपुदमन सिंह मलिक की हत्या के मामले में दूसरी डिग्री की हत्या का दोषी करार दिया। रिपुमदन को 14 जुलाई 2022 को सरे में उनके व्यवसायिक प्रतिष्ठान के बाहर कई गोलियां मारी गईं थी। साल 1985 के एयर इंडिया विमान विस्फोट मामले में रिपुदमन सिंह और अजैब सिंह बागरी को साल 2005 में बरी कर दिया गया था। एयर इंडिया कनिष्क विस्फोट मामले में 329 लोग मारे गए थे।

    31 अक्तूबर को होगा सजा का एलान
    मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, अदालत ने माना कि दोनों दोषियों को मलिक की हत्या के लिए पैसे दिए गए थे। सुनवाई के दौरान दोषियों को वकील ने दोनों की युवावस्था को देखते हुए कम कड़ी सजा देने की अपील की। अब अदालत 31 अक्तूबर को मामले पर फिर सुनवाई करेगी, जिसमें दोनों दोषियों की सजा का एलान किया जाएगा। वहीं रिपुदमन सिंह के परिवार ने दोषियों को सजा मिलने पर खुशी जताई और कहा कि ‘हम आभारी हैं कि शूटर्स को न्याय के कटघरे में लाया गया है, लेकिन परिवार के सदस्य को खोने का दर्द कोई नहीं मिटा सकता।’रिपुदमन सिंह मलिक के परिवार ने कहा कि ‘हालांकि अभी काम पूरा नहीं हुआ है। इस हत्या को अंजाम देने के लिए टेनर फॉक्स और जोस लोपेज को काम पर रखा गया था। जब तक उन्हें काम पर रखने और इस हत्या की योजना बनाने के जिम्मेदार लोगों को न्याय के कटघरे में नहीं लाया जाता, तब तक काम अधूरा रहेगा।’

    एयर इंडिया बम विस्फोट में 329 लोगों की गई थी जान
    साल 1985 में एयर इंडिया की फ्लाइट में हुआ बम विस्फोट कनाडा के इतिहास और एयरलाइंस के इतिहास के सबसे भयानक आतंकी हमलों में से एक है। 23 जून, 1985 को, एयर इंडिया की फ्लाइट 182 में 268 कनाडाई नागरिक और 24 भारतीय नागरिकों सहित कुल 329 लोग सवार थे। इस फ्लाइट ने टोरंटो से उड़ान भरी और मॉन्ट्रियल में रुकी, जहां से यह लंदन और फिर अपने अंतिम गंतव्य स्थान मुंबई पहुंचने वाली थी। जब यह विमान अटलांटिक महासागर से 31,000 फीट ऊपर उड़ रहा था, तभी इसमें रखे एक विस्फोट में धमाका हो गया, जिससे विमान में सवार सभी लोग मारे गए थे।

    उस दौरान जापान से उड़ान भरने वाली एक अन्य एयर इंडिया फ्लाइट में भी बम लगाया जाना था, लेकिन टोक्यो के नारिता हवाई अड्डे पर यह विस्फोट हो गया, जिसमें दो बैगेज हैंडलर मारे गए थे। इन मामलों में इंद्रजीत सिंह रेयात को विभिन्न आरोपों में दोषी ठहराया गया। रेयात पर आरोप था कि उसने बम बनाने में मदद की थी और उसे इसके लिए उसे 30 साल जेल में बिताने पड़े। रिपुदमन सिंह मलिक को भी इस मामले में आरोपी बनाया गया था। रिपुदमन सिंह मलिक को साल 2016 में रिहा कर दिया गया था।