डॉक्टर हसना ने इस हादसे पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, “मैं इस राहत शिविर में इसलिए आई हूं, क्योंकि सुबह कई लोग अस्वस्थ महसूस कर रहे थे। कई लोगों को सिर दर्द और उच्च रक्तचाप की समस्या हो रही है। हमने उन्हें दवाइयां दे दी है, लोग सदमे में है, इसलिए पहले के तीन दिन हम कुछ नहीं कर सकते हैं। उनके सामान्य होने पर ही हम इलाज शूरू करेंगे”
चूरलमाला के प्रसन्ना ने भी इस हादसे को लेकर अपना अनुभव साझा किया। उन्होंने कहा, “मैं केवल अपने पिता की मदद कर पाई। मैं उन्हें लेकर जंगल की तरफ भागी। मैं अपनी बहन को नहीं बचा पाई। दो बच्चे बाहर की तरफ भागे और बह गए। मैंने उन्हें चिल्लाते हुए सुना। हमारा घर भी बह गया।” 80 वर्षीय पद्मावती ने इस हादसे में अपनी बहु को खो दिया। उन्होंने कहा, “वह मुझे छोड़कर चली गई। अब मेरी देखभाल कौन करेगा। मैं अकेली हो गई।”इस हादसे में बचाए गए कई लोग और परिवार के सदस्य मौजूदा समय में अस्पताल में भर्ती हैं। कई लोग राहत शिविरों में रह रहे हैं। बता दें कि इस भूस्खलन में अबतक 148 लोगों की मौत हो चुकी है।