पंजाब में प्लास्टिक वेस्ट व बायो सॉयल स्थानीय निकाय विभाग के लिए मुसीबत बना हुआ है। इस समस्या पर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) भी कई बार संज्ञान ले चुका है। यही कारण है कि सरकार इसका स्थायी हल निकालने के लिए काम कर रही है।नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया (एनएचएआई) बटाला नगर निगम से प्लास्टिक वेस्ट लेने के लिए तैयार हो गया है, जिसका इस्तेमाल हाईवे निर्माण में किया जाएगा। इसी तरह डंपिंग ग्राउंड के कचरे से निकालने वाली बॉयो सॉयल को लेने के लिए भी एनएचएआई ने लुधियाना नगर निगम की एजेंसी के साथ करार किया है, जिसके चलते स्थानीय निकाय विभाग की एक बड़ी समस्या हल होने जा रही है।एनएचएआई की तरफ से अभी तक बॉयो सॉयल के निपटारे के लिए काम भी शुरू कर दिया गया है। अब तक 3 लाख मीट्रिक टन बॉयो सॉयल का एनएचएआई की तरफ से इस्तेमाल किया जा चुका है। बॉयो सॉयल डंप कचरे के नीचे से निकलती है, जिसमें प्लास्टिक के साथ ही अन्य बाकी कचरा शामिल होता है। ये एक तरह की डी-कंपोज्ड मिट्टी होती है, जिसका इस्तेमाल सड़क व हाईवे निर्माण के समय अर्थ फिलिंग के लिए किया जा सकता है।एनएचएआई ने बटाला निगम के साथ प्लास्टिक वेस्ट के अलावा आरडीएफ के इस्तेमाल को लेकर भी करार किया है। पंजाब म्युनिसिपल इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट कंपनी की चीफ एग्जीक्यूटिव ऑफिसर दीप्ति उप्पल की तरफ से इस संबंध में एनजीटी में जानकारी दी गई है।पंजाब पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड ने ऐसे 27 वेस्ट प्रोसेसरों की लिस्ट भी प्रदान की हुई है। सितंबर 2023 से जून 2024 तक नगर निकायों की तरफ से 780 मीट्रिक टन कचरा प्लास्टिक वेस्ट प्रोसेसरों को बेचा जा चुका है। बावजूद इसके यह समस्या हल होने का नाम नहीं ले रही है। यही कारण है कि स्थानीय निकाय विभाग अब एनएचएआई के माध्यम से भी इस कचरे के निपटारे के लिए काम कर रहा है।

    15,857 वेस्ट कलेक्टरों के पास भी जा रहा प्लास्टिक वेस्ट

    इसके अलावा बाकी बचे प्लास्टिक वेस्ट को प्रदेश में काम कर रहे 15,857 वेस्ट कलेक्टरों के पास भी भेजा जा रहा है। स्थानीय निकाय विभाग के अनुसार वह और प्लास्टिक वेस्ट का भी वेस्ट प्रोसेसरों के जरिये निपटारे करने में लगे हुए हैं। विभाग ने 438.68 करोड़ का फंड ठोस व तरल अपशिष्ट प्रबंधन के लिए स्थानीय निकायों को जारी किया है, ताकि कचरे के निपटारे के लिए और भी प्रमुखता के साथ काम किया जा सके। विभाग ने सिंगल यूज प्लास्टिक के इस्तेमाल पर चालान करने का अभियान भी तेज कर दिया है। वर्ष 2024-25 की पहली तिमाही में 1592 चालान जारी किए गए हैं। साथ ही कचरा जुटाने के पूरे सिस्टम को मजबूत करने के लिए आधुनिक मशीनें खरीदने के लिए नगर निकायों को 92 करोड़ भी जारी किए गए हैं।