नई दिल्ली: शिरोमणि अकाली दल के नेता परमजीत सिंह सरना जिस प्रकार 1984 के सिख नरसंहार के अपराधियों को सम्मानित करते रहे हैं, उसी तरह अब श्री अकाल तख्त साहिब के पूर्व जत्थेदार भाई गुरदेव सिंह काउंके के हत्यारे पुलिस अधिकारी स्वर्ण सिंह घोटना का पक्ष लेते हुए नज़र आ रहे हैं।
यह कहना है दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी की कार्यकारिणी के सदस्य सरदार भूपिंदर सिंह भुल्लर का।
यहां जारी एक बयान में सरदार भूपिंदर सिंह भुल्लर ने कहा कि आश्चर्य की बात है कि जत्थेदार गुरदेव सिंह काउंके की शहादत को 31 साल हो गए, लेकिन सरदार परमजीत सिंह सरना को आज तक भाई काउंके की याद नहीं आई। आज जब दिल्ली गुरुद्वारा कमेटी ने उनकी बरसी मनाने की पहल की है तो सरदार सरना ने इसका विरोध शुरु कर दिया है और जत्थेदार काउंके के हत्यारे का उसी तरह समर्थन किया है, जैसे पहले वह 1984 के सिख नरसंहार के अपराधियों का सम्मान करते रहे हैं।
उन्होंने कहा कि सरदार सरना ने जत्थेदार काउंके की बरसी समारोह, जिसमें जत्थेदार काउंके की पत्नी, बेटा और परिवार के अन्य सदस्य भी शामिल हुए थे, उसमें शामिल होने के बजाय इस समागम का विरोध करते हुए स्वर्ण सिंह घोटना के घटिया किरदार पर पर्दा डालने की कोशिश की है।
उन्होंने कहा कि जैसे सरदार सरना ने पहले 1984 के सिख नरसंहार के अपराधियों को दोषी नहीं माना और उनके खिलाफ एक शब्द भी नहीं कहा, उसी तरह सरदार सरना ने अपने भाषण में एक बार भी स्वर्ण सिंह घोटना की निंदा नहीं की।
उन्होंने कहा कि पूरा सिख समुदाय आज जत्थेदार काउंके को याद कर रहा है और उनके हत्यारों को सजा न दिए जाने की निंदा कर रहा है, लेकिन सरदार सरना आज भी हत्यारों के पक्ष में बयानबाज़ी कर रहे है। जिसकी जितनी निंदा की जाए कम है। उन्होंने कहा कि एक बार फिर सरदार सरना पंथ के गद्दार साबित हो रहे हैं।