बीआरओ लद्दाख में विश्व की सर्वाधिक ऊंचाई पर स्थित 3डी प्रिंटिंग तकनीक से संग्रहालय बनाने जा रहा है। चंडीगढ़ में परिसर तैयार करने के बाद इस म्यूजियम को भी एलएंडटी कंपनी और बीआरओ द्वारा बनाया जाएगा। लेफ्टिनेंट जनरल राजीव चौधरी ने बताया कि इस संग्रहालय में बीआरओ के 60 साल के इतिहास को प्रदर्शित किया जाएगा।

    इमारत खड़ी करने के लिए अब ईंट, पत्थर और कॉलम यानी पिलर की जरूरत अब पुरानी बात होने वाली है। देश में 3डी प्रिंटिंग तकनीक से बहुमंजिला इमारतों का निर्माण होने लगा है। चंडीगढ़ में विश्व के सबसे बड़े 3डी प्रिंटेड कंक्रीट परिसर का निर्माण लगभग पूरा हो चुका है। सीमा सड़क संगठन बीआरओ इसे देश की अग्रणी निर्माण कंपनी लार्सन एंड टूब्रो एलएंडटी के सहयोग से बना रहा है।

    खास बात यह है कि बीआरओ ने रिकॉर्ड छह माह में इस भवन का 60 फीसदी निर्माणकार्य पूरा कर लिया है और दिसंबर तक इसे भारतीय सेना को समर्पित कर दिया जाएगा। बीआरओ के महानिदेशक लेफ्टिनेंट जनरल राजीव चौधरी ने रविवार को चंडीगढ़ के बहलाना स्थित बीआरओ की हिमांक डिस्पैच यूनिट में निर्माणाधीन 3डी प्रिंटिंग बिल्डिंग कांप्लेक्स का निरीक्षण किया और इसकी प्रगति पर संतोष जाहिर किया।

    उन्होंने कहा कि एलएंडटी ने रिकॉर्ड समय में इसे तैयार करने की दिशा में काम किया। इस तकनीक से समय और पैसे दोनों की बचत होती है और बहुत कम समय में टिकाऊ निर्माण किया जा सकता है। खासकर ऊंचाई वाले क्षेत्रों में ईंट, पत्थर और सरिया जैसी भारी सामग्री को पहुंचाना मुश्किल भरा काम है। ऐसे में सेना के लिए यह तकनीक किसी वरदान से कम नहीं।

    3डी प्रिंटिंग बिल्डिंग कांप्लेक्स के परिसर में 1.98 एकड़ क्षेत्र में प्रशासनिक भवन और भंडारण सुविधाओं के साथ-साथ अधिकारियों, जूनियर कमीशन अधिकारियों और अन्य रैंकों के लिए आवास की विभिन्न सुविधाएं हैं। परिसर में छह बिल्डिंग ब्लॉक हैं। इनमें से पांच का निर्माण 3डी प्रिंटिंग तकनीक से किया गया है और 1 ब्लॉक प्री-कास्ट तकनीक से निर्मित है। एलएंडटी ने इससे पहले मुंबई में प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत इस तकनीक से 96 दिन में 96 फ्लैट तैयार किए थे।

    लद्दाख में बनेगा सबसे ऊंचा 3डी बीआरओ संग्रहालय

    बीआरओ लद्दाख में विश्व की सर्वाधिक ऊंचाई पर स्थित 3डी प्रिंटिंग तकनीक से संग्रहालय बनाने जा रहा है। चंडीगढ़ में परिसर तैयार करने के बाद इस म्यूजियम को भी एलएंडटी कंपनी और बीआरओ द्वारा बनाया जाएगा। लेफ्टिनेंट जनरल राजीव चौधरी ने बताया कि इस संग्रहालय में बीआरओ के 60 साल के इतिहास को प्रदर्शित किया जाएगा, जो आम लोगों और पर्यटकों को समर्पित किया जाएगा।

    क्या है 3डी प्रिंटिंग बिल्डिंग तकनीक

    3डी प्रिंटिंग बिल्डिंग तकनीक को भारत में पिछले करीब तीन साल से भवन निर्माण क्षेत्र में अपनाया जाने लगा है। बीआरओ इस पर नया प्रयोग कर रहा है ताकि इसे आम जनता के लिए और सुगम बनाया जा सके। इस निर्माण में फ्लाई ऐश, सामान्य सीमेंट और रेत आदि के मिश्रण को बड़े आकार के 3डी प्रिंटर से जोड़ दिया जाता है।

    प्रिंटर और इसकी रोबोटिक आर्म ऑटोमेटेड तरीके से मकान का निर्माण करती जाती है। कंप्यूटर से कमांड देने के बाद ट्यूब से निकलने वाली निर्माण सामग्री के पेस्ट से प्रिंटिंग मशीन चिनाई करती है। इसमें बायोफिलिक डिजाइन का इस्तेमाल किया जाता है। 3डी परिदृश्य भूमि से लेकर इमारत, छत, बगीचा और बालकनी तक को कवर करता है। इससे किसी भी तरह का डिजाइन तैयार किया जा सकता है। यह बहुत कम समय में सस्ता और टिकाऊ निर्माण करने में सक्षम है।