फरीदकोट (विपन मितल,प्रबोध शर्मा): प्राचीन इतिहासिक शिव हनुमान मंदिर गौशाला आनंदयाना में काफी संख्या में महिलाओं ने गौ माता को हार पहनाकर चारा खिलाया, और परिक्रमा कर पूजा की मंदिर के पुजारी पंडित प्रबोध कुमार शर्मा जी ने कहा कि शास्त्रों के अनुसार दीवाली के ठीक बाद आने वाली कार्तिक शुक्ल अष्टमी को गोपाष्टमी पर्व के रूप में मनाया जाता है। मान्यता है कि कार्तिक शुक्ल अष्टमी के दिन ही मां यशोदा ने भगवान श्री कृष्ण को गाय चराने के लिए जंगल भेजा था।इस दिन गौ, ग्वाल और भगवान श्रीकृष्ण का पूजन करने का महत्व है। हिंदू धर्म में गाय को माता का स्थान दिया गया है। कामधेनु के रूप में गाय माता सभी की मनोकामना पूर्ण करती हैं। मृत्यु के पश्चात जीव गाय माता की पूंछ पकड़ कर ही वैतरणी नदी को पार करता है। उन्होंने कहा कि गोपाष्टमी पर गौ माता की विशेष पूजा की जाती है। विशेषतौर पर बछड़े सहित गाय की पूजा करने का विधान है।धूप-दीप, अक्षत, रोली, गुड़, वस्त्र, जल, आदि से गाय का पूजन और आरती उतारी जाती है। इस दिन गायों को नहला धुला कर खूब सजाया-संवारा जाता है। इसके बाद गाय को चारा, आदि डालकर उनकी परिक्रमा करते हैं। परिक्रमा करने के बाद कुछ दूर तक गायों के साथ चलते हैं। ऐसी आस्था भी है कि गोपाष्टमी के दिन गाय के नीचे से निकलने वालों को बड़ा पुण्य मिलता है। परिवार की सुख समृद्धि में विशेष वृद्धि होती है।मंदिर की पुजारन श्रीमती सुनीता जी ने कहा गाय की पूजा करने से सभी कष्ट दूर होते हैं गाय माता में 33 कोटी देवी देवता की पूजा का फल मिलता है धन वाले को धन मिलता है पुत्र वाले को पुत्र मिलता है सौभाग्य मिलता है इसलिए गोपाल अष्टमी के दिन विशेष पूजन करना चाहिए इस पावन अवसर पर कार्तिक नहाने वाले सभी श्रद्धालुओं ने गाय माता की पूजा की एवं परिक्रमा दी आशीर्वाद प्राप्त किया