नए साल के मौके पर अमेरिका के लास वेगास में ट्रंप होटल के बाहर साइबरट्रक में हुए धमाके को लेकर चौंकाने वाला खुलासा हुआ है। इस खुलासे के तहत पता चला है कि अमेरिकी सेना के जवान ने चैटजीपीटी समेत जनरेटिव एआई का इस्तेमाल किया था। लास वेगास पुलिस ने यह दावा किया है। इस धमाके में 37 साल के मैथ्यू लिवेल्सबर्गर की मौत हो गई थी और सात अन्य लोग घायल हुए थे। जांच अधिकारियों ने ये भी बताया कि आरोपी सैनिक की मंशा किसी को मारने की नहीं थी। लास वेगास मेट्रोपॉलिटन पुलिस विभाग के शेरिफ केविन मैकमैहिल ने जनरेटिव एआई के उपयोग की मदद से धमाका करने को ‘गेम-चेंजर’ बताया और कहा कि विभाग अन्य केंद्रीय जांच एजेंसियों के साथ जानकारी साझा कर रहा है।
चैटजीपीटी से हमले की पहली घटना
मैकमैहिल ने कहा कि ‘जहां तक मैं जानता हूं, यह अमेरिका की पहली घटना है, जहां चैटजीपीटी का इस्तेमाल करके किसी व्यक्ति ने विशेष उपकरण बनाया और उसकी मदद से धमाका किया। यह एक चिंताजनक बात है।’ वहीं चैटजीपीटी एआई बनाने वाली कंपनी ओपनएआई ने कहा कि वह अपने उपकरणों के जिम्मेदारी से इस्तेमाल को लेकर प्रतिबद्ध है और उन्हें हानिकारक निर्देशों का पालन न करने के लिए डिजाइन किया गया है। ओपनएआई ने कहा कि हम जांच में सहयोग कर रहे हैं।
चैटजीपीटी की मदद से कैसे दिया गया धमाके को अंजाम
विस्फोट के बारे में जानकारी देते हुए पुलिस अधिकारियों ने बताया कि लिवेल्सबर्गर ने लास वेगास की तरफ जाते हुए साइबरट्रक में रेसिंग-ग्रेड का ईंधन भरा। साइबरट्रक में पहले से ही 27 किलो पायरोटेक्निक और 32 किलो बर्डशॉट भरा हुआ था। हालांकि जांच अधिकारियों को अभी तक नहीं पता है कि विस्फोट किस वजह से हुआ। पुलिस अधिकारी मान रहे हैं कि जब लिवेल्सबर्गर ने खुद को साइबरट्रक में खुद को गोली मारी, उससे ही कार में आग लगी और फिर विस्फोट हो गया।
जांच में खुलासा हुआ है कि लिवेल्सबर्गर ने चैटजीपीटी से इस बात की जानकारी ली कि कैसे वह साइबरट्रक में विस्फोटक रखे और कितनी तेजी से गोली चलाने की जरूरत है कि कार में आग लग जाए और धमाका हो जाए। अमेरिकी सैनिक ने चैटजीपीटी से यह भी जानकारी ली थी कि उसे विस्फोटक लेने के लिए किन नियम-कानूनों की जरूरत पड़ेगी।
लिवेल्सबर्गर के पास से मिले अहम दस्तावेज
जांच अधिकारियों ने कहा कि उन्होंने लिवेल्सबर्गर के पास से छह पन्नों का दस्तावेज भी मिला है। हालांकि अभी तक इसकी जानकारी पुलिस ने सार्वजनिक नहीं की है। इस दस्तावेज को लेकर पुलिस, रक्षा विभाग के साथ काम कर रही है। माना जा रहा है कि इस दस्तावेज में कई गोपनीय जानकारी हैं। साथ ही पुलिस लिवेल्सबर्गर के लैपटॉप, मोबाइल फोन और स्मार्टवॉच की भी जांच की जा रही है। जांच में पता चला है कि लिवेल्सबर्गर को शक था कि जांच एजेंसियां उसकी निगरानी कर रही हैं। हालांकि जांच में उसका कोई आपराधिक रिकॉर्ड नहीं मिला है और साथ ही वह एफबीआई के रडार पर भी नहीं था। लिवेल्सबर्गर को ये भी आशंका थी कि विस्फोट के बाद उसे आतंकवादी समझा जाएगा, लेकिन उसका इरादा लोगों को मारने का नहीं था।
‘अमेरिका पतन की तरफ बढ़ रहा’
विस्फोट से पहले खुद को गोली मारने वाला लिवेल्सबर्गर अमेरिकी सेना को बेहद सम्मानित सैनिक था और वह दो बार अफगानिस्तान में तैनात रहा था। कोलोराडो के निवासी लिवेल्सबर्गर ने खुद की जान लेने से पहले जो नोट छोड़े हैं, उनसे पता चलता है कि वह अमेरिका के सामने आने वाली चुनौतियों को लेकर चेतावनी देना चाहता था। नोट से पता चलता है कि वह अपने साथियों की मौत से दुखी था और साथ ही लड़ाई के दौरान उसने जिन लोगों की जान ली, उसे लेकर भी उसे पछतावा था। जांच से साफ है कि लिवेल्सबर्गर ने अकेले ही विस्फोट को अंजाम दिया। उसने अपने नोट में ये भी लिखा है कि अमेरिका पतन की तरफ बढ़ रहा है। उसने राजनीतिक और सामाजिक समस्याओं समेत यूक्रेन युद्ध का भी जिक्र किया। खास बात ये है कि लिवेल्सबर्गर ने विस्फोट के लिए टेस्ला के साइबरट्रक और ट्रंप होटल के सामने वाली जगह को चुना, लेकिन उसके मन में ट्रंप या मस्क के लिए कोई दुर्भावना नहीं थी और उसने अपने नोट में लोगों को ट्रंप और मस्क के साथ एकजुट होने की अपील की।