भारत को मच्छर जनित रोग डेंगू से बचाव का तोड़ मिल गया है। मच्छर काटने से फैलने वाली इस बीमारी की रोकथाम के लिए वैज्ञानिकों ने टीका खोज लिया है, जिसका परीक्षण अब अंतिम चरण में पहुंच गया है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के एक शीर्ष अधिकारी ने बताया कि बीते सप्ताह डेंगू संक्रमण को लेकर हुई उच्चस्तरीय बैठक में भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) ने बताया कि टीके का परीक्षण अंतिम चरण में है और अगले साल तक यह आम आदमी के लिए उपलब्ध हो सकता है।भारत में चार फार्मा कंपनी इस क्लीनिकल परीक्षण में जुटी हैं। हाल ही में पुणे स्थित सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (एसआईआई) ने केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन को अहम दस्तावेज सौंपते हुए बताया कि अमेरिका से डेंगू वायरस का नया स्ट्रेन मंगाने के बाद पहला परीक्षण 60 लोगों पर हुआ है, जिसमें छह महीने तक लोगों में एंटीबॉडी का स्तर पर्याप्त मात्रा में देखने को मिला है। इस परिणाम के बाद सरकार ने कंपनी को दूसरे चरण के क्लीनिकल ट्रायल की अनुमति भी दी है। भारत में एसआईआई के अलावा इंडियन इम्यूनोलॉजिकल्स लि. (आईआईएल) भी डेंगू टीका पर काम कर रहा है।

    2026 की शुरुआत में टीका लॉन्च होने की उम्मीद…हाल ही में आईआईएल ने साल 2026 की शुरुआत में डेंगू टीके को व्यावसायिक रूप से लॉन्च करने की उम्मीद भी जताई। इसके लिए भी अमेरिका स्थित नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ ने आवश्यक वायरस प्रदान किया है।

    स्वास्थ्य मंत्रालय ने बचाव करते रहने की सलाह 
    डेंगू के खतरे से बचाव को लेकर स्वास्थ्य मंत्रालय ने लोगों को अलर्ट रहने की सलाह दी है।

    स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, बरसात के दिनों में गमलों, टायरों, टूटे बर्तनों या झुग्गियों के ऊपर प्लास्टिक की चादरों के नीचे पानी जमा हो जाता है। ये सभी मच्छरों के प्रजनन के लिए आदर्श स्थान होते हैं। पोखरों में जमा पानी और बंद नालियां भी डेंगू फैलाने वाले एडीज मच्छर के लिए प्रजनन का उपयुक्त स्थल बन जाती हैं। पानी को जमा होने से रोकने के उपाय करके डेंगू के खतरे को काफी हद तक कम करने में मदद मिल सकती है।