दूसरी ओर, हाइब्रिड, सीएनजी आदि जैसे वैकल्पिक वाहनों की ओर बदलाव के कारण डीजल की मांग प्रभावित हो रही है, खासकर हल्के कमर्शियल वाहन क्षेत्र में। डीजल की खपत ज्यादातर परिवहन और औद्योगिक क्षेत्रों में होती है। इस साल फरवरी में डीजल की खपत 7.3 मिलियन मीट्रिक टन रही, जो जनवरी 2025 की तुलना में 5.1 प्रतिशत और पिछले साल फरवरी में दर्ज की गई मात्रा से 1.2 प्रतिशत कम है।
कमर्शियल सेक्टर में घटी डीजल की डिमांड
पेट्रोलियम प्लानिंग एंड एनालिसिस सेल (PPAC) ने खुलासा किया है कि फरवरी 2025 में हाई-स्पीड डीजल (एचएसडी) की मांग घटकर मौजूदा 7.3 मिलियन मीट्रिक टन रह गई है, जो पिछले साल सितंबर के बाद सबसे कम है, जब डीजल की खपत घटकर 6.3 मिलियन मीट्रिक टन रह गई थी। पीपीएसी ने भी इस गिरावट के लिए वैकल्पिक ईंधनों को अपनाने में वृद्धि को जिम्मेदार ठहराया है, खासकर हल्के वाणिज्यिक वाहन क्षेत्र में, जहां परिचालन की कम लागत, डीजल की अधिक लागत और सख्त उत्सर्जन मानदंडों के कारण सीएनजी और इलेक्ट्रिक पावरट्रेन धीरे-धीरे अधिक लोकप्रिय हो रहे हैं।
कुल मिलाकर, पेट्रोल और डीजल की खपत में यह गिरावट भारत के ऊर्जा क्षेत्र में क्रमिक परिवर्तन को दर्शाती है, जहां वैकल्पिक ऊर्जा स्रोत लोकप्रिय हो रहे हैं।