2025 में भारत में पेट्रोल और डीजल की खपत में भारी गिरावट देखी गई। है। 12 महीनों में यह पहली बार देश में पेट्रोल और डीजल की खपत अपने निचले स्थर पर आ गई है। एसबीआई सिक्योरिटीज की एक रिपोर्ट से पता चला है कि फरवरी में भारत में पेट्रोल की खपत 12 महीने के निचले स्तर 3.1 मिलियन मीट्रिक टन पर रही। पेट्रोल और डीजल में यह गिरावट ऐसे समय में आई है, जब ऑटोमोबाइल सेक्टर धीरे-धीरे अपना ध्यान वैकल्पिक ईंधन स्रोतों जैसे इलेक्ट्रिक वाहन और सीएनजी पर केंद्रित कर रहा है। वैकल्पिक ईंधन की बढ़ी मांग   इसमें भी जनवरी 2025 की तुलना में 5.4 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई है। हालांकि, रिपोर्ट में दावा किया गया है कि साल-दर-साल आधार पर पेट्रोल की खपत फरवरी 2024 की तुलना में अभी भी 3.5 प्रतिशत अधिक है। रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि यह चालू वित्त वर्ष में दर्ज की गई सबसे कम पेट्रोल खपत है। इस अवधि के दौरान सबसे अधिक पेट्रोल की खपत मई 2024 में 3.4 मिलियन मीट्रिक टन थी।
दूसरी ओर, हाइब्रिड, सीएनजी आदि जैसे वैकल्पिक वाहनों की ओर बदलाव के कारण डीजल की मांग प्रभावित हो रही है, खासकर हल्के कमर्शियल वाहन क्षेत्र में। डीजल की खपत ज्यादातर परिवहन और औद्योगिक क्षेत्रों में होती है। इस साल फरवरी में डीजल की खपत 7.3 मिलियन मीट्रिक टन रही, जो जनवरी 2025 की तुलना में 5.1 प्रतिशत और पिछले साल फरवरी में दर्ज की गई मात्रा से 1.2 प्रतिशत कम है।
कमर्शियल सेक्टर में घटी डीजल की डिमांड 
पेट्रोलियम प्लानिंग एंड एनालिसिस सेल (PPAC) ने खुलासा किया है कि फरवरी 2025 में हाई-स्पीड डीजल (एचएसडी) की मांग घटकर मौजूदा 7.3 मिलियन मीट्रिक टन रह गई है, जो पिछले साल सितंबर के बाद सबसे कम है, जब डीजल की खपत घटकर 6.3 मिलियन मीट्रिक टन रह गई थी। पीपीएसी ने भी इस गिरावट के लिए वैकल्पिक ईंधनों को अपनाने में वृद्धि को जिम्मेदार ठहराया है, खासकर हल्के वाणिज्यिक वाहन क्षेत्र में, जहां परिचालन की कम लागत, डीजल की अधिक लागत और सख्त उत्सर्जन मानदंडों के कारण सीएनजी और इलेक्ट्रिक पावरट्रेन धीरे-धीरे अधिक लोकप्रिय हो रहे हैं। कुल मिलाकर, पेट्रोल और डीजल की खपत में यह गिरावट भारत के ऊर्जा क्षेत्र में क्रमिक परिवर्तन को दर्शाती है, जहां वैकल्पिक ऊर्जा स्रोत लोकप्रिय हो रहे हैं।