फरीदकोट : ट्यूशन फीस तय करने के विवाद में आदेश मेडिकल यूनिवर्सिटी के 24 एमडी व एमएस कोर्स के छात्रों की किस्मत पिछले चार महीने से अधर में लटकी हुई है। प्रति छात्र लगभग 30 लाख शिक्षण शुल्क के बकाया पर मेडिकल छात्र अपने तीन साल के पाठ्यक्रम के पूरा होने के बाद मई-जून 2021 में होने वाली अपनी अंतिम परीक्षा का अभी भी इंतजार कर रहे हैं।राज्य के छह अन्य मेडिकल कालेजों में इन 24 छात्रों के सभी समकक्षों ने इस साल जुलाई में अपनी अंतिम परीक्षा लिखने के बाद पहले ही अपनी डिग्री प्राप्त कर ली है, और इनमें से अधिकांश अपने पेशे से जुड़ गए हैं। आदेश विश्वविद्यालय के इन एमडी, एमएस छात्रों की ट्यूशन फीस को लेकर विवाद 2018 में विश्वविद्यालय में उनके प्रवेश के समय शुरू हुआ था। राज्य के सभी चिकित्सा संस्थानों के लिए 2018 में एमडी, एमएस पूर्ण पाठ्यक्रमों के लिए राज्य सरकार द्वारा निर्धारित 19.50 लाख रुपये की ट्यूशन फीस के खिलाफ आदेश विश्वविद्यालय ने अपना शुल्क 49.32 लाख रुपये निर्धारित किया था। आदेश विश्वविद्यालय ने राज्य सरकार द्वारा निर्धारित शिक्षण शुल्क को उच्च न्यायालय में चुनौती दी थी, पिछले लगभग तीन वर्षों से विवादास्पद शुल्क संरचना पर निर्णय लंबित होने से आदेश विश्वविद्यालय के छात्रों ने ट्यूशन शुल्क के रूप में 19.50 लाख रुपये का भुगतान किया है।छात्रों ने आरोप लगाया कि फीस ढांचे पर फैसला लंबित रहने तक विश्वविद्यालय चाहता है कि छात्र 29.81 लाख रुपये का बकाया भुगतान करें। विवि पूरी फीस लेकर ही छात्रों की फाइनल परीक्षा कराना चाहता है। एक छात्र ने कहा, अगर हाईकोर्ट का फैसला विश्वविद्यालय के खिलाफ आता है तो यह 29.81 लाख रुपये की फीस वापस करने का वादा करता है। 2018 में हमारे प्रवेश के समय, हमने विश्वविद्यालय को एक वचन दिया था कि हम उच्च न्यायालय के निर्णय के अनुसार शुल्क का भुगतान करेंगे, लेकिन निर्णय लंबित है, छात्रों ने आरोप लगाया कि कालेज परीक्षा न कराकर हम पर फीस भरने का दबाव बना रहा है।विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार कर्नल जगदेव सिंह (सेवानिवृत्त) ने इस बारे में अनभिज्ञता जताई है। हालांकि डिप्टी रजिस्ट्रार कुलवंत सिंह इस बात से इंकार कर रहे हैं। वे कह रहे हैं कि कोई दबाव नहीं डाला जा रहा था। मामला विचाराधीन है, हम छात्रों से कोई शुल्क नहीं मांग सकते। विश्वविद्यालय में परीक्षा आयोजित करने में देरी के बारे में कहा कि यह करोना महामारी के कारण था रुकी है। चूंकि कोविड के कारण एमडी, एमएस पाठ्यक्रमों में नए प्रवेश में देरी हुई थी, इसलिए आउटगोइंग बैच के लिए परीक्षा में देरी हो रही है।