फरीदकोट,(विपन मितल): बारिश के पानी की निकासी, जिले के तीनों शहरों फरीदकोट, कोटकपूरा व जैतो में बड़ी समस्या बनती जा रही है। बारिश होने पर शहरों में दो से तीन फुट तक और निचले हिस्सों इससे भी ज्यादा पानी जमा होना आम बात है। लोगों को न तो इस समस्या से निजात मिली और न ही राजनीतिक इच्छाशक्ति के चलते नेताओं बारिश रूपी पानी को संरक्षित व संग्रहित करने की दिशा में कोई काम किया, बस यूं ही बारिश का पानी पिछले कितने दशकों से बर्बाद हो रहा है।देश-दुनिया में पीने योग्य मीठे पानी की कमी होती जा रही है। एक नहीं बल्कि कई सर्वे से खुलासा हुआ है पीने योग्य स्वच्छ पानी का टेबल नीचे चले जाने से आने वाले समय में लोगों को पेयजल के लिए भारी जद्दोजहद का सामना करना होगा। देश के कई हिस्सों में भूजलस्तर नीचे से खिसक रहा है। आलम यह है कि वहां पर जमीन का पानी पीने व सिचाई कार्य के लिए निकालने हेतु हैवी पावर की मोटरों का सहारा लेना पड़ रहा है, परंतु वह भी गर्मी के मौसम में जबाव दे जाती है, ऐसे में समय की जरूरत है कि प्राकृति द्वारा बारिश के रूप में जो अमूल्य जल हमें दिया जा रहा है, उसे संग्रहित करने के साथ उसे संरक्षित किया जाए ताकि वर्तमान के साथ ही हमारी आने वाली पीढि़यों को भी राहत मिल सके।

    बारिश के मौसम में ही आम दिनों में जब कभी भी सामान्य से थोड़ी ज्यादा बारिश हो जाती है, तो फरीदकोट, कोटकपूरा व जैतो शहर की दशा और दुर्दशा देखने वाली होती है। सत्ता में पहुंच रखने वाले लोगों ने अपनी पहुंच का फायदा उठाकर जल संग्रहण वाले स्थलों पर कब्जा कर वहां इमारतें बना ली, अब शहरों में बारिश का पानी संग्रहित करने के लिए जगह ही नहीं बची, जिससे और बारिश होने पर और परेशानी बढ़ गई है। यहीं नहीं बारिश के पानी को साफ कर जमीन के नीचे भेजने के लिए जो वैज्ञानिक उपाय इन दिनों प्रचलन में है, उस पर भी जिले के नेताओं ने गंभीरता नहीं दिखाई।