अमेरिकी कार निर्माता Ford (फोर्ड) ने चेन्नई के पास स्थित अपने प्लांट को फिर से शुरू करने का फैसला किया है। हालांकि, यह प्लांट सिर्फ इंजन और उससे जुड़े पार्ट्स के उत्पादन और निर्यात के लिए इस्तेमाल किया जाएगा। रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस फैसले की आधिकारिक घोषणा इस साल की दूसरी तिमाही में हो सकती है। लेकिन इस फैसले का मतलब यह नहीं है कि फोर्ड भारत में फिर से कार बनाएगा।
2022 से बंद पड़ा है चेन्नई प्लांट
मरईमलाई नगर में स्थित प्लांट 2022 के मध्य से बंद पड़ा है। फोर्ड ने 2021 में भारत में कारों का उत्पादन बंद कर दिया था। और 2022 में आधिकारिक रूप से भारतीय बाजार से पूरी तरह बाहर निकल गया। करीब 25 सालों तक संघर्ष करने के बावजूद कंपनी भारतीय बाजार में मजबूत पकड़ नहीं बना सकी थी।
फोर्ड का भारत में प्लान जारी रहेगा
कुछ रिपोर्ट्स में कहा गया था कि अमेरिका की नई नीतियों के कारण, जो स्थानीय उत्पादन को प्रोत्साहित करती हैं और आयात करों को बढ़ाती हैं, फोर्ड भारत में अपनी योजनाएं छोड़ सकता है। लेकिन मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, भारत सरकार के दो अधिकारियों ने पुष्टि की है कि यह योजना अब भी जारी है। इसके अलावा, फोर्ड के अधिकारियों ने तमिलनाडु सरकार से भी इस फैसले को लेकर चर्चा की है।
फोर्ड की वैश्विक रणनीति के अनुरूप है यह फैसला
फोर्ड पहले से ही गुजरात के साणंद प्लांट से पुर्जे और इंजन एक्सपोर्ट करता है। यह वही प्लांट है। जिसका अधिकांश हिस्सा टाटा मोटर्स ने 2022 में खरीद लिया था। अब चेन्नई प्लांट भी एक्सपोर्ट (निर्यात) से जुड़ी यूनिट के रूप में काम करेगा।
भारत में इलेक्ट्रिक कार लॉन्च करने की योजना टली
फोर्ड ने पहले एंडेवर, एवरेस्ट और मस्टैंग जैसी इलेक्ट्रिक कारों को भारत में लॉन्च करने का विचार किया था। लेकिन अब कंपनी ने इस योजना को फिलहाल रोक दिया है। और अपना पूरा ध्यान एक्सपोर्ट पर केंद्रित कर दिया है।
फोर्ड के डीलरशिप बंद, लेकिन सर्विस सेंटर चालू
फोर्ड ने भारत में अपनी सभी डीलरशिप बंद कर दी हैं, अब सिर्फ सर्विस सेंटर ही चालू हैं। ऐसे में इंडस्ट्री के जानकारों का मानना है कि इससे साफ है कि फोर्ड अब पूरी तरह से भारत को एक एक्सपोर्ट हब के रूप में इस्तेमाल करना चाहता है, न कि कार निर्माण के लिए।
भारत में फोर्ड की असफलता की कहानी
फोर्ड ने 25 साल से ज्यादा समय तक भारतीय बाजार में टिके रहने की कोशिश की। लेकिन अन्य कार ब्रांड्स की मजबूत पकड़ और प्रतिस्पर्धा के कारण यह सफल नहीं हो सकी।फोर्ड की कारों को मेंटेनेंस के लिहाज से महंगा माना जाता था। जिससे ग्राहक मारुति सुजुकी, ह्यूंदै और टाटा जैसी कंपनियों की कारों की ओर ज्यादा आकर्षित हुए।
सितंबर 2021 में फोर्ड ने एलान किया कि वह भारत में कारों का निर्माण और बिक्री बंद कर रहा है। कंपनी को 10 साल में करीब 2 अरब डॉलर (करीब 16,000 करोड़ रुपये) का भारी नुकसान हुआ था। इसके बाद, 2022 के मध्य तक कंपनी ने चेन्नई और साणंद के अपने दोनों प्लांट बंद कर दिए।
बाद में, फोर्ड ने साणंद प्लांट का एक बड़ा हिस्सा टाटा मोटर्स को बेच दिया, लेकिन चेन्नई प्लांट को अब तक बंद रखा था। अब कंपनी इसे इंजन और पार्ट्स के एक्सपोर्ट के लिए फिर से शुरू कर रही है।