चंडीगढ़/28सितंबर: शिरोमणी अकाली दल के वरिष्ठ नेता सरदार बिक्रम सिंह मजीठिया ने नवजोत सिद्धू को पीपीसीसी अध्यक्ष पद से इस्तीफा को ‘‘ अनुसूचित जाति के नेता द्वारा अवरूद्ध मुख्यमंत्री पद के लिए अपना रास्ता बंद देखकर एक अहंकारी की निराशा की अंतिम अभिव्यक्ति’’ बताया है’’।

    ‘‘ सिद्धू ने महसूस किया है कि अनुसूचित समुदाय के किसी व्यक्ति के साथ पार्ट टाइम और डमी मुख्यमंत्री के साथ फरवरी तक (सिद्धू) रहने के लिए उनका ‘‘ यूज एंड थ्रो ’’ वाला कदम उनभर भारी पड़ गया है। उन्होने कहा कि सिद्धू की कहानी उनके अनुरूप नही जा रही थी, तथा वह आगामी चुनाव के लिए कांग्रेस का मुख्यमंत्री चेहरा नही बनाए जा रहे थे। सरदार मजीठिया ने आज यहां एक बयान जारी करते हुए कहा कि सिद्धू ने महसूस कर लिया कि जहां तक उनकी मुख्यमंत्री पद की महत्वाकांक्षाओं का सवाल है यह समाप्त हो गया है। इसीलिए उनका यह गुस्सा तथा हताशा दिखाई दी है’’।

    सरदार मजीठिया ने कहा कि लेकिन इस प्रक्रिया में सिद्धू ने अनुसूचित जाति समुदाय का अपमान किया है। ‘‘ उन्होने पहले कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सुनील जाखड़ के खिलाफ साम्प्रदायिक खेल खेला था। ये साम्प्रदायिक और जातिवादी कलंक माफ करने योग्य नही है, क्योंकि पंजाब सास्कृतिक संश्लेषण, शांति और साम्प्रदायिक सदभावना का प्रतीक है तथा यह ‘‘ सरबत का भला ’’ जोकि सिखों द्वारा की जाने वाली रोजाना की अरदास से प्रेरित है। सिद्धू का खेल उस पवित्र भावना के खिलाफ था तथा कोई हैरानी की बात नही कि अकाल पुरख और प्रकृति ने उन्हे दंडित किया है’’।

    सरदार मजीठिया ने कहा कि पिछले कुछ हफ्तोें के नाटक ने यह दिखाया है कि कांग्रेस में यह उथल- पुथल की लड़ाई सिर्फ सत्ता के लिए है और इसका मुददों, सिद्धांतो यां जनता के हितों से कोई लेना देना नही है। कांग्रेस के नेता इन पदों के लिए मांस खाने वाले भेड़ियों के लिए लड़ते देखे गए हैं। यह वही पुरानी टीम है जो शराब, लुटेरों और रेत खनन करने की आदि है ’’।

    सरदार मजीठिया ने कहा कि सिद्धू की हताशा उनके इस अहसास को बताती है कि कांग्रेस के मुख्यमंत्री के रूप में अनुसूचित जाति का चेहरा चुनना आसान था, लेकिन उससे छुटकारा पाना मुश्किल है।

    अकाली नेता ने कहा कि इस पूरी सर्कस ने कांग्रेस को पूरी तरह से उजागर कर दिया है कि साढ़े चार साल के कुशासन का पूरा दोष सिर्फ एक आदमी पर लगाकर लोगों को मुर्ख नही बनाया जा सकता है। उन्हे लगा कि मुख्यमंत्री का चेहरा बदलकर वे खुद को साफ तथा निर्दोष साबित कर देंगें। ‘‘ इन नेताओं ने पूरी सत्ता का आंनद लिया और सरकार ने जनता के लिए कुछ भी नही किया। वे अब यह बहाना बना रहे हैं कि वे तब शक्तिहीन थे तथा उन्हे लगता था कि पंजाबी उनकी इस चाल में आ जाएंगें। लेकिन प्रकृति ने उन्हे इस चाल से धूल चटा दी है। प्रकृति का कपटी को उजागर करने का एक तरीका है। अकाली नेता ने कहा कि पंद्रह दिनों की घटनाओं ने दिखा दिया है कि कैसे यह सब मंत्री, पद तथा भ्रष्टाचार में लिप्त थे। उन्होने कहा कि कांग्रेसी नेता पिछले चार महीनों में भी मुफ्त लूट में ही लिप्त थे।‘‘ लेकिन ऐसा लगता है कि उनका समय अब समाप्त हो गया है’’।