चंडीगढ़़/15 दिसंबर:

     

    शिरोमणी अकाली दल के व्यापार एवं उद्योग विंग के अध्यक्ष श्री एन.के शर्मा ने आज स्थानीय निकाय मंत्रालय द्वारा निजी कंपनियों के साथ मिलकर 1500 करोड़ रूपये के एलईडी खरीद समझौते घोटाले से राज्य भर में नगर पालिकाओं में गंभीर रूप से बढ़ी कीमतों पर 74,944 एलईडी लाइटें लगाने के घोटाले को बेनकाब कर दिया है।

    इस घोटाले की शुरूआत तत्कालीन स्थानीय निकाय मंत्री नवजोत सिद्धू द्वारा शुरू की गई थी, और उनके उत्तराधिकारी ब्रह्म मोहिंद्रा द्वारा पूरा किया गया था, अकाली नेता ने कहा कि यह राज्य के इतिहास में पहली बार है कि सरकार ने 60 करोड़ रूपये के निवेश के लिए दस साल की अवधि में सरकार निजी कंपनियों को 1520 करोड़ रूपये का भुगतान करने पर सहमति जताई है।

    श्री एन के शर्मा ने भी राज्य सतर्कता विभाग से शिकायत की है और लगातार स्थानीय निकाय मंत्रियों सहित कांग्रेस के शीर्ष पदाधिकारियों द्वारा प्राप्त रिश्वत की गहन जांच की मांग की है। तथा कहा कि ‘‘ इस भ्रष्ट सरकार से न्याय मिलने की बहुत कम संभावना है’’। उन्होने कहा, ‘‘ एक बार शिअद-बसपा गठबंधन की सरकार के शपथ लेने के बाद हम न केवल इस मामले को दर्ज करने का आदेश देंगें बल्कि मामले को सीबीआई यां केंद्रीय सतर्कता आयोग की जांच के लिए भी भेजेंगें। हम संकल्प करते हैं कि इस मामले में सरकारी खजाने को लूटने वाले सभी दोषियों को सलाखों के पीछे डाला जाएगा

    श्री एन के शर्मा ने आरटीआई के तहत प्राप्त दस्तावेजों को जारी कर घोटाले के बारे जानकारी देते हुए कहा कि पटियाला क्लस्टर मामले में दिए गए अनुबंध का ब्यौरा दिया, जो उन दस क्लस्टरों में से एक हैं, जिसके लिए सभी मौजूदा लाइटों को एलईडी लाइटस में बदलने के लिए ठेके दिए गए थे। उन्होने कहा कि भले ही लाइटों को खरीदने के की जिम्मेदारी नगर निकायों की थी, लेकिन सरकार ने यह दावा करते हुए जिम्मेदारी ली कि वह पूरे राज्य के लिए लाइटों की खरीद की कीमत पर बातचीत कर रही है। उन्होने कहा कि यह हैरानी की बात है कि उच्च गुणवत्ता वाली लाइटें उचित दरों पर खरीदने के बजाय, इसे अत्यधिक बढ़ी हुई दरों पर खरीदा गया था, जिससे राज्य में नगर निगमों और परिषदों पर एक और बोझ डाल दिया गया था।

    श्री शर्मा ने कहा कि उन्हे सुर्या रोशनी लिमिटेड से कोटेशन मिले थे, जिसने सरकारी आदेश के अनुसार लाइटों की कीमत 4.39 करोड़ रूपये रखी थी। उन्होेने कहा कि यदि स्विच और फिटिंग सहित अन्य लागतों और अतिरिक्त दरों पर रखरखाव का भी ध्यान में रखा जाता है तो पुराने लाईट सिस्टम की लागत को कम करने के बाद कुल निवेश केवल छह करोड़ रूपये आता है। उन्होने कहा कि यदि इन लाइटों को स्थापित करने वाले दस क्लस्टरों को ध्यान में रखते हुए इसे दस से गुणा किया जाता है तो निवेश लागत 60 करोड़ रूपये आती है।

    व्यापार और उद्योग विंग के अध्यक्ष ने कहा कि यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण बात है कि सरकार ने केवल 60 करोड़ रूपये के कुल निवेश के लिए दस साल की अवधि में 1520 करोड़ का भुगतान करने के लिए प्रतिबद्धता जताई थी। ‘‘यह राज्य के खजाने की दिन दिहाड़े लूट के बराबर है’’। उन्होने कहा कि इस अनुबंध को श्री नवजोत सिद्धू ने मंजूरी दी थी और बाद में श्री ब्रह्म मोहिंदरा द्धारा हस्ताक्षरित किया गया था।

    मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी से यह पूछने पर कि वह इस मामले में कार्रवाई क्यों नही कर रहे हैं, श्री शर्मा ने कहा,‘‘ मुख्यमंत्री को बताना चाहिए कि क्या वह इस मामले में एक पार्टी बन गए हैं और इस घोटाले की लूट में भी हिस्सा ले रहे हैं’’।

    श्री शर्मा ने डेरा बस्सी में चल रही अन्य भ्रष्ट गतिविधियों के बारे में भी जानकारी देते हुए बताया कि जीरकपुर में बड़े पैमाने पर अवैध रेत खनन के साथ साथ लालड़ू में 90 एकड़ जमीन में अवैध रूप से खैर के पेड़ों की कटाई शामिल है। उन्होनेे इस बात की भी जानकारी दी कि कैसे भ्रष्ट अधिकारियों को जीरकपुर में अवैध रूप से नगर परिषद के पास जमा 250 करोड़ रूपये को इधर उधर करने के लिए तैनात किया गया था।