जालंधर 1 अगस्त : फगवाड़ा से लगभग डेढ़ से दो किलोमीटर की दूरी पर गांव खट्टी में स्थित है भगवान परशुराम जी की तपस्थली, जहां भगवान परशुराम जी ने भीष्म तप किया था, उनके पदचिन्ह तथा और भी कई प्रकार की निशानियां इस मन्दिर में आज भी सम्माहित है। इस पावन स्थल पर भगवान परशुराम जी के अनुयायियों ने इकट्ठे होकर आज 1 अगस्त 2021 दिन रविवार को राष्ट्रीय पशुराम सेना संघ की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की घोषणा की।
इस कार्यक्रम का शुभारंभ भगवान परशुराम जी की पुजा अर्चना से किया गया। तदुपरांत सुयोग्य ब्राह्मण द्वारा वैदिक मंत्रों के साथ हवन यज्ञ किया गया। जिसमें संघ के सभी सदस्यों ने भावपूर्ण आहुतियां डाली। इसके पश्चात कार्यकारिणी की घोषणा की गई, जिसमें सर्व प्रथम कमलदेव जोशी को सर्वसम्मति से भगवान परशुराम सेवा संघ का राष्ट्रीय चेयरमैन, श्रीमती नीलम कालिया को राष्ट्रीय अध्यक्ष, राष्ट्रीय कार्यकारिणी अध्यक्ष डॉ विमल शर्मा, नरेश कुमार शर्मा को महासचिव, विशाल कालिया को कोषाध्यक्ष, सनी शर्मा, पीआरओ, राजन शर्मा तथा सुमित कालिया को कार्यकारणी उपाध्यक्ष, सन्नी शर्मा सचिव, मंच सचिव निखिल त्रिपाठी तथा देवेंद्र पाल शर्मा को प्रचार सचिव के ओहदे पर विराजमान किया गया।
भगवान परशुराम सेवा संघ के चुनाव की प्रक्रिया नई कार्यकारिणी के सभी पदाधिकारियों के भगवान परशुराम जी के आगे नतमस्तक होकर आशीर्वाद लेने से संपन्न हुई।
इस अवसर पर भगवान परशुराम सेवा संघ की तरफ से लंगर का आयोजन भी बड़ी धूमधाम से किया गया।
भगवान श्री परशुराम जी के बारे में संक्षिप्त जानकारी देते हुए कमल देव जोशी ने बताया कि भगवान परशुराम महान तपस्वी और योद्धा हैं। वे सप्त चिरंजीवियों में से एक हैं। उनका जिक्र रामायण में भी है और महाभारत में भी। वे शस्त्र के साथ ही शास्त्र के भी विशेषज्ञ हैं।
उन्होंने आगे बताया कि हम सभी एक जुट होकर भगवान परशुराम जी के बताए मार्ग ब्रह्मनों और सनातनियों का कल्याण, ब्राह्मणों को शिक्षित करने और सभी बच्चों की शिक्षा के लिए गुरुकुल खोलने, गरीब ब्राह्मण और सनातनियों के लिए अस्पताल और औषध्यालय, बच्चों को वेदों और हमारी संस्कृति तथा धर्म के बारे शिक्षित करना, गरीब ब्राह्मणों को उनकी जरूरतों में मदद करना, कन्यादान के समय धन एवं अन्य खाद पदार्थों से ब्राह्मण की मदद करना, मंदिरों को सरकारी तंत्र से मुक्त कराना, हिंदू मंदिर अधिनियम लागू कराना, सर्वोच्च न्यायालय से सख्त कानून लागू करने एवं जातियों से सनातनियों की रक्षा के लिए, हमारी संस्कृति और विरासत की बेहतरी के लिए सनातनियों को एक छत पर लाने के मुख्य सिद्धांतों पर काम करना हमारा प्रथम ध्येय है और हम भगवान परशुराम जी के दिखाए हुए मार्ग से कभी पीछे नहीं हटेंगे सभी संघ के सदस्यों ने इस पुत्र स्थान पर ऐसा प्रण लिया है तथा इस पर चलने का हम पूरा पर्यटन भी करेंगे।