नकली हीरों से ग्राहकों को बचाने के लिए सरकार जल्द ही पॉलिसी लाने की तैयारी में है। यह ठीक सोने पर हॉलमार्क की तरह एक प्रमाणपत्र के रूप में हो सकता है, जिसे हीरे खरीदते समय कंपनियां ग्राहकों को देंगी। हालांकि, इसे किसी और भी रूप में लाया जा सकता है।सूत्रों के मुताबिक, इस मामले में लगातार शिकायतें मिल रही हैं। इसके बाद यह नीति तैयार की जा रही है। इसे देखते हुए दुनिया की अग्रणी हीरा कंपनी डी बीयर्स ग्रुप ने जेम एंड जूलरी एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल (जीजेईपीसी) के सहयोग से असली हीरे को बढ़ावा देने के लिए इंडियन नेचुरल डायमंड रिटेलर एलायंस (इंद्रा) के तहत गतिविधियां शुरू की हैं। डी बीयर्स के भारत में प्रबंध निदेशक अमित प्रतिहारी ने कहा, इंद्र के के जरिये असली हीरे की पहचान हो सकेगी।

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असली हीरे की पहुंच सिर्फ 10 फीसदी
वर्तमान में भारतीय आभूषण खुदरा क्षेत्र में असली हीरे की पहुंच केवल 10 फीसदी ही है। खुदरा विक्रेता इंद्रा के पोर्टल पर पंजीकरण कर सकेंगे। उन्हें कई भाषाओं में यहां पर असली हीरे के बारे में जानकारी मिलेगी। जीजेईपीसी के 10,500 सदस्य पहले चरण में नामांकन कर सकेंगे। भारतीय रत्न और आभूषण बाजार का मूल्य वर्तमान में 85 अरब डॉलर है। 2030 तक 130 अरब डॉलर तक पहुंचने का अनुमान है।