सीरिया के राष्ट्रपति रहे बशर अल-असद के भागने के बाद अब देश में हयात तहरीर अल-शाम (एचटीएस) के नेतृत्व में नई सरकार के गठन की कवायद तेज हो गई है। हालांकि, इस बीच देश में अल्पसंख्यकों खासकर ईसाइयों के लिए सबसे अहम त्योहारों में से एक क्रिसमस आ चुका है। जहां एक तरफ लोगों में इस त्योहार को मनाने से पहले इस्लामी चरमपंथियों को लेकर डर बैठा था, वहीं विद्रोही गुट के नेता अहमद अल-शरा की तरफ से सभी धर्मों के लोगों को उनके धर्म के पालन में छूट के एलान के बाद अब देश में क्रिसमस को लेकर ईसाई समुदाय में उत्साह दिखा है।

    क्या बोले सीरिया में बसे ईसाई
    सारा लतीफा नाम की एक महिला ने बताया कि पहले उन्हें डर था कि बशर अल-असद से सत्ता छिनने और विद्रोही इस्लामी गुटों के शासन के आने के बाद क्रिसमस कैसे मनाया जाएगा। हालांकि, दमिश्क के ऐतिहासिक केंद्र में ही एक चर्च में मंगलवार को बिना किसी रोकटोक के जुटी भीड़ ने उनके इस डर को कुछ कम किया है। उन्होंने कहा कि मौजूदा हालात में यह बिल्कुल भी आसान नहीं था कि इतने लोग क्रिसमस से ठीक पहले राजधानी में ही जुट जाएं। हालांकि, करीब 500 लोग के एक साथ आने के बाद हम राहत की सांस ले रहे हैं।

    इस्लामी चरमपंथियों को लेकर अभी भी बैठा है डर
    अल्पसंख्यक समुदाय के एक बड़े वर्ग में अब भी इस्लामी विद्रोहियों के शासन को लेकर डर का एक भाव है। सीरिया में कुछ लाख की संख्या में रहने वाले ईसाई समुदाय के लोगों का मानना है कि देश के नए नेतृत्व ने उनके भय को कम करने के लिए किए गए वादों पर बहुत कम काम किया है।

    मंगलवार को ही इस सिलसिले में दमिश्क के एक और इलाके में ईसाइयों के एक समूह ने जबरदस्त प्रदर्शन किया। उनका यह प्रदर्शन सीरिया के मध्य में एक क्रिसमस ट्री को जलाने की घटना के बाद आया। इससे जुड़े एक वीडियो में अपना चेहरा छिपाए कुछ लड़ाकों को हमा के ईसाई बहुल सुकायलाबिया में क्रिसमस ट्री को आग लगाते भी देखा गया है। सीरिया में गृहयुद्ध की निगरानी करने वाले सीरियन ऑब्जर्वेटरी फॉर ह्यूमन राइट्स के मुताबिक, इस घटना के पीछे विदेश से सीरिया आए लड़ाके थे। इन्हें गिरफ्तार कर लिया गया है। एचटीएस के एक स्थानीय धार्मिक नेता ने लड़ाकों की इस हरकत की निंदा की है।

    दमिश्क के करीब ही बाब ईसाई बहुलता वाले तोउमा शहर में भी क्रिसमस के माहौल के बीच दुकानों में सजावट देखी गई। यहां क्रिसमस का प्रतीक माना जाने वाला पेड़ भी लगाया गया है। हालांकि, लोगों का कहना है कि सीरिया में लगातार बदलती स्थिति को लेकर उनमें अभी भी डर है। यहां एक कैफे के मालिक यामेन बसमार ने कहा कि कई लोग उनके पास आकर पूछते हैं कि क्या वह शराब बेचते हैं या समारोह का आयोजन करते हैं। असल में जमीन पर कुछ नहीं बदला है। लेकिन नए शासन को लेकर कम जानकारी और इससे पनपे डर की वजह से उनकी बिक्री में 50 फीसदी तक की गिरावट आई है। उन्होंने बताया कि पिछले साल क्रिसमस पर उनकी दुकान सुबह 3 बजे तक खुली थी। हालांकि, इस बार वह दुकान 11 बजे रात को ही बंद कर देंगे।

    दमिश्क में एक रेस्तरां ने इन हालात के बीच भी क्रिसमस पार्टी का आयोजन किया। इसमें ईसाइयों और मुस्लिम समुदाय के दर्जनों लोग पहुंचे। लोगों ने कहा कि उन्होंने समारोह का आनंद लिया, लेकिन एक डर उनमें लगातार रहा है। यहां रहने वाली एमा सियुफ्जी का कहना है कि उन्हें उम्मीद है कि 2011 से शुरू हुए गृहयुद्ध की तरह अब किसी भी सीरियाई को अपना देश छोड़ने को मजबूर नहीं होना पड़ेगा।